For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - डूब भी जाये कोई , पार उतारा लिख दो ( गिरिराज भंडारी )

2122   1122    1122   22 /112

.

तुम जो चाहो तो ये गिर्दाब, किनारा लिख दो
डूब भी जाये कोई , पार उतारा लिख दो

 

कैसे उस चाँद को धरती पे उतारा लिख दो

कैसे आँगन में हुआ खूब नज़ारा लिख दो

 

खटखटाने से कोई दर न खुले, तो दर पर 

बारहा मैने तेरा नाम पुकारा लिख दो

 

जंग अपनो से भला कैसे कोई कर लेता

ख़ुद को जीता, तो कहीं मुझको ही हारा लिख दो 

 

हो यक़ीं या कि न हो तुम तो लिखो सच अपना   

दश्ते तारीक में जुगनू था सहारा लिख दो

 

कौन आयेगा यहाँ अश्क़ तुम्हारा पढ़ने

हँसते गाते हुये ही वक़्त गुज़ारा लिख दो

 

रेत पर बे वफा लिक्खो नहीं, मिट जायेगा 

संग ए दिल में ही कहीं और दुबारा लिख दो

 

फिर न कहना कि बहुत तल्ख़ लगीं थीं बातें   

मेरी फित्रत में तुम्हें क्या है गवारा लिख दो

 

कोई बदलेगा नहीं छोड़ो अदालत तुम भी

या तो मुंसिफ ने है कितनों को सुधारा लिख दो

 

यार तुम भी तो पढ़ो मेरी ग़ज़ल के मिसरे 

कौन कहता है इसे पाँच सितारा लिख दो

**************************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 1495

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 15, 2016 at 6:42pm
सारी अच्छाइयाँ ,आदर्श किताबों में लिखे हैं ,
नहीं उतारा तो जिन्दगीं में नहीं उतरा लिख दो।
वाह ! बहुत खूब लिखा आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , बधाई और बधाई , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2016 at 6:12pm

आदरनीय बड़े भाई अखिलेश जी , हौसला अफ्ज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on June 15, 2016 at 5:43pm

प्रिय गिरिराज

बड़ी खूबसूरत  है गजल, पाँच सितारा लिख दो।

अपने अनुभव ज्ञान को, कागज पे उतारा लिख दो॥

कई बार पढ़ गया , हर शेर लाजवाब , हृदय से बधाई  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2016 at 5:00pm

आदरणीया राजेश जी , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका । अश्क तुम्हारे  सही है , मै सुधार लूँगा , आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2016 at 4:58pm

आदरणीय योगराज भाई , मै सोच के रह गया , कठिन शब्दों का अर्थ दे नही पाया था । आपने दे दिया , आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2016 at 4:56pm

आदरणीय महर्षि भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

आदरणीय ओगराज भाई जी ने कठिन शब्दों का अर्थ बता दिया है , देख लीजियेगा ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 15, 2016 at 4:30pm

रेत पर बे वफा लिक्खो नहीं, मिट जायेगा 

संग ए दिल में ही कहीं और दुबारा लिख दो

 

फिर न कहना कि बहुत तल्ख़ लगीं थीं बातें   

मेरी फित्रत में तुम्हें क्या है गवारा लिख दो

 कमाल के शेर हुए आ० गिरिराज जी भोपाल में सुनने का मजा लिया था आज पढने का मजा लिया बहुत ही शानदार ग़ज़ल लिखी है दिल से ढेरों बधाई आपको |

कौन आयेगा यहाँ अश्क़ तुम्हारा पढ़ने---तुम्हारे पढने  


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 15, 2016 at 4:14pm
भाई महर्षि त्रिपाठी जी

गिर्दाब = भंवर
फित्रत/फितरत = स्वाभाव/टेम्परामेंट

बारहा = बार बार / अनेक बार

Comment by maharshi tripathi on June 15, 2016 at 3:52pm
रेत पर बे वफा लिक्खो नहीं, मिट जायेगा
संग ए दिल में ही कहीं और दुबारालिख दो
बहुत बढिया,सर,कुछ शब्द के अर्थ स्पष्ट करे तो और अच्छा हो --
गिर्दाब,फित्रत,बारहा

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2016 at 2:20pm

आदरणीय सुशील सरना भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service