For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमारे पास  भी 
 
कहने को तो बहुत कुछ है हमारे पास भी 
ये बात अलग है कि कहते बनता नहीं 
ऐसा भी नहीं कि कहना नहीं जानते 
शब्द भंडार भी है अपार 
जानते हैं खूब वाक्य विन्यास 
फिर भी ऐसा कुछ है निःसन्देह  
रोक लेता है जुबान को 
लफ्ज़-ए - ब्यान को 
 
ठीक वैसे ही  जैसे 
सतीतत्व- प्रमाणिकता बनाम   
विश्वास भरोसे संवारती जानकी
अग्नि -परीक्षा के लिए तत्पर   
क्या क्या नहीं बोल सकती थी 
पर नहीं बोल पायी 
अविश्वास- संदेह -दाह -जलन ले 
कदम बढ़ाया 
अग्नि में प्रवेश पाया
और निःस्पर्श 
अग्नि से बाहर निकल आयी
अग्नि उसे क्या झुलसाती 
आग आग को क्या जलाती  
 परिणाम से क्या अंतर् आता  कि 
किसका भरोसा बना किसका उठा 
जानकी ने इतना भर किया कि 
बस पलकें  नहीं उठाई
जीत की खुशी भी नहीं मनाई 
परीक्षा -परिणाम - प्रतिक्रिया पर रूचि नहीं दिखाई
निर्लिप्त  हो गयी कृष्ण सम महाभारत में 
एक और निज सेना दूजी और स्वंय  
कि कब कौन जीते  कौन हारे 
कुछ भी नहीं बोली 
क्या मायने होते उन लफ़्ज़ों के 
जो बोल भी दिए जाते 
 
अच्छा ही हुआ जो नहीं बोली जानकी 
उस दिन भी नहीं बोली 
जब उसकी अग्नि परीक्षा-परिणाम की वैधता को मुखाग्नि दे 
अर्धरात्री अथवा पूर्ण -दिवस में 
बनवास वीभत्सता के प्रत्य्क्षदर्शी 
राजसिंहासनासीन  पति द्वारा 
त्याग दिया गया चुपचाप ,
नितांत अकेली ,
भेज दिया गया फिर से बनवास 
बियाबान में ,अनदेखे अंजान में 
गर्भित ज़िमेवारी 
फिर से कुछ नहीं बोली महतारी 
चली गई नि:शब्द  चुपचाप 
कुछ भी नहीं बोली 
क्या मायने होते उन लफ़्ज़ों के 
जो बोल भी दिए जाते
 
निःशब्द  रोती गयी 
धरती पुत्री बोती गयी 
असहनीय सहनशीलता  मसले 
 छलक छलक  गयी झोलियाँ 
अनाधिकारी अविवेकी फसलें   
चलता चला गया  अनवरत सिलसिला 
स्थापित घर बनता चला गया सदृढ़ किला
बस विस्थापित हुई तो केवल  नींव 
कुछ भी नहीं बोली जानकी कभी 
कुछ भी नहीं बोलती जानकी कभी 
क्या मायने  उन लफ़्ज़ों के 
जो बोल भी दिए जाऐं 
ये बात नहीं  है कि कहते बनता नहीं कभी 
कहने को तो बहुत कुछ है हमारे पास भी....... 
मौलिक  व  अप्रकाशित 
 

 

Views: 467

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 9:40pm

बहुत  अच्छी सारगर्भित प्रस्तुति हार्दिक बधाई आपको 

Comment by amita tiwari on June 20, 2016 at 8:55pm

मान्य केवल प्रसाद जी 

इतनी सुंदर टिप्पणी के लिए  ह्रदय से आभारी हूँ .

सादर 

अमिता 

Comment by amita tiwari on June 20, 2016 at 8:53pm

मान्य भंडारी जी 

आपकी टिप्पणी और सराहना के लिए  आभार .

वर्तनी की भूलों की तरफ ध्यान दिलाकर  उपकार किया है आपने.  धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 20, 2016 at 11:09am

आदरणीया अमिता जी , बहुत सारगर्भित रचना लगी आपकी , हार्दिक बधाइयाँ । कहीं कहीं शब्द और कहीं वर्तनी गलत है --
 ब्यान    --  बयान

निर्लेप  या निर्लिप्त 

जिम्मेवारी , -- ज़िम्मेदारी

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2016 at 10:24pm

आ० अमिता जी,     अंतर्मन के भावों  को अक्षरों के आवरण  के बिना समझना मुश्किल ही नही......ना मुमकिन भी है. इन सुगढ़ भावों के लिये बधाई....सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आदरणीय अशोक भाईजी,आपकी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ  एक एकाकी-जीवन का बहुत ही मार्मिक…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. रवि जी "
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"स्वागत है आ. रवि जी "
10 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश जी जुलाई में इंदौर आ रहा हूँ मिलत है फिर ।  "
13 hours ago
Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"      आदरणीय अजय जी ग़ज़ल के प्रयास केलिये आपको बधाई देता हूँ । ऐसा प्रतीत हो रहा है…"
13 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरीणीय नीलेश जी तरही मिसरे पर मुशाइरे के बाद एक और गजल क साथ उपस्थिति पर आपको बहुत बहुत मुबारक बाद…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"सोलह गाफ की मात्रिक बहर में निबद्ध आपकी प्रस्तुति के कई शेर अच्छे हुए हैं, आदरणीय अजय अजेय जी.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. अजय जी,क़ाफ़िया उन्मत्त तो सुना था उन्मत्ते पहली बार देखा...तत्ते का भी अर्थ मुझे नहीं पता..उतना…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)

लोग हुए उन्मत्ते हैं बिना आग ही तत्ते हैंगड्डी में सब सत्ते हैं बड़े अनोखे पत्ते हैंउतना तो सामान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"क्या अंदाज है ! क्या मिजाज हैं ! आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय नीलेश…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service