For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मानवता के लिये जियो-पंकज

बहुत प्रताप था सम्राट अशोक
अब कहाँ है तुम्हारा सिंहासन?

बहुत जलवा था ज़िल्ले इलाही
कहाँ हैं अब मुग़लिया वंशज ?

जो महल जो हीरे जवाहरात
तूने खून से जुटाए थे न !
कोह-ए-नूर तो शो पीस ही रह गया
बादशाह सलामत?

तेरी खून पीने वाली तलवार
टीपू सुल्तान
बिक गयी- नीलाम हो गयी।
लेकिन तेरी वंशावली के
बूते की बात नहीं रही।।

गफ़लत में जीते हुए मौत से हारकर
सारी हेकड़ी और कौशल यहीं छोड़कर
जाना पड़ा तुमको भी महाराज युधिष्ठिर।

कुरुक्षेत्र की लाल धरती
पानीपत का खूनी मैदान
प्लासी का रण क्षेत्र
हल्दी घाटी का युद्ध स्थल
सब बस कहानी हैं अब।।

हे मानव तू जो बीन-बटोरकर
चोरी-बेईमानी से यह सब
इकठ्ठा कर रहा है;

नेपाल में भी लोगों नें एकत्र किया था
काठमांडू याद है न ?

संग्रहण का त्याग करो
परहित पुरुषार्थ करो

प्लूटो अरस्तू और विवेकानन्द
शंकराचार्य और तमाम स्वामी आनंद
महात्मा बुद्ध और महावीर

नाम याद तो हैं न ?

न्यूटन आर्किमिडीज़ और भी
वैज्ञानिक-ऋषि

मानवता के लिए जियो
सदियों तक जियो।।


मौलिक-अप्रकाशित

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 3, 2016 at 11:41am
आदरणीय गोपाल सर सादर प्रणाम।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2016 at 8:41pm

बहुत बेहतरीन तंज है आ० पंकज जी  पर अहम् में डूबा व्यक्ति अंधा ही होता है . सादर .

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 2, 2016 at 4:55pm
आदरणीय राजेश दीदी, सादर प्रणाम और आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 1, 2016 at 6:43pm

पुरातन से नवीन को नसीहत देती हुई बढ़िया प्रस्तुति है आद० पंकज जी बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
9 minutes ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
12 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service