मेरी जान
बनकर दुल्हन
बनी ठनी
सजी संवरी
मृदु मुस्कान
भर चली ।
मेरी लाडो
बन दुल्हन
घर चली |
वीरान आँगन
वो मेरा
कर चली ।
मेरी जान
अपने सजन की
हो चली ।
घर बाबुल का
पीछे छोड़
चल पड़ी |
नए सपने सजोये
अपने पी के संग
हो चली |
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
मेरी जान
अपने सजन की
हो चली ।
घर बाबुल का
पीछे छोड़
चल पड़ी |
नए सपने सजोये
अपने पी के संग
हो चली |
अति अति अति उत्तम प्रस्तुति ... इस भावों की गागर छलकाती रचना के लिए हार्दिक हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना जी।
आदरणीया कल्पना जी , सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति के लिये आपकओ हार्दिक बधाइयाँ ।
मेरी लाडो
बन दुल्हन
घर चली |
वीरान आँगन
वो मेरा
कर चली ।....वाह !
आदरणीया कल्पना भट्ट जी सादर, इस सुंदर हृदयस्पर्शी प्रस्तुति के लिए , बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.
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