22 22 22 22 22 22 ( बहरे मीर )
कोई किसी की अज़्मत पीछे छिपा हुआ है
कोई ले कर नाम किसी का बड़ा हुआ है
यातायात नियम से वो जो चलना चाहा
बीच सड़क में पड़ा दिखा, वो पिटा हुआ है
किसने लूटा कैसे लूटा कुछ समझाओ
हर इक चेहरा बोल रहा वो लुटा हुआ है
दूर खड़े तासीर न पूछो, छू के देखो
आग है कैसी ,इतना क्यूँ वो जला हुआ है
चौखट अलग अलग होती हैं, लेकिन यारो
सबका माथा किसी द्वार पर झुका हुआ है
एक शिकायत कर के देखो, तब जानोगे
किसके अंदर क्या क्या कचरा भरा हुआ है
वो फिर दर्पण ले कर हमको दिखला दे ना
आओ साबित कर दें उसको मरा हुआ है
मेरा क्या ? मै वैसे भी इक बंजारा हूँ
मेरा जाना तेरी हाँ तक, रुका हुआ है
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीया कल्पना जी , उत्साह वर्धन और सराहना के लिये आपका आभार ।
आदरणीय आशुतोष भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया आपका ।
ना का उपयोग जहाँ तक हो सके न करें तो अच्छा है , ना तो सम्भव हो तो मत कहके देखें , गज़ल मे न ही कहने का प्रयास करें , वैसे हिन्दी के दोहों मे ना का प्रयोग हुआ है । कुछ सम्भव न हो तो ही ना कहें ।
वाह | बहुत सुंदर ग़ज़ल पढने को मिली है | बहुत बहुत बधाई सर आपको शानदार ग़ज़ल हुई है |
आदरणीय गिरिराज भाई साब आजकल आपकी बहरे मीर पर कई रचनायें पढने को मिल रही हैं .पूरी ग़ज़ल उम्दा है पर इस शेर के लिए वो फिर दर्पण ले कर हमको दिखला दे ना
आओ साबित कर दें उसको मरा हुआ है बिशेष रूप से दाद स्वीकार करें ..हाँ भाई साब ना के प्रयोग पर कई बार तरह तरह की भ्रांतियों के से कुछ जानकारी चाहता हूँ न और ना के प्रयोग में मैं अक्सर दुबिधा में रहता हूँ अपनी जिज्ञासा के लिये पूछ रहा हूँ अन्यथा मत लीजियेगा सादर प्रणाम के साथ
आदरनीय विजय भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।
आदरनीय अशोक भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय रामबली भाई , सराहना और उत्साहवर्धन के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।
आदरणीय समर भार्र , हुसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।
आदरनीय , आपका इशारा सही है , चौखट स्त्री लिंग है , तदानुसार सुधार भी आवश्यक है -- । गलती बताने के लिये आपका अलग से शुक्रिया । कृपया उस मिसरे को ऐसे पढें ।
चौखट अलग अलग होती हैं, लेकिन यारो
आदरनीय सुशील भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।
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