For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाने किस ऊंचाई पर सब लोग जाना चाहते

२१२२ २१२२ २१२२ २१२2

जाने किस ऊंचाई पर सब लोग जाना चाहते है

हो जमी पे ही खड़े सब क्या दिखाना चाहते हैं

 

जो समंदर पार  के ले आदमी वो ही बड़ा अब

आप ऐसी सोच रखकर क्या जताना चाहते है

 

आदि से कंगूरों की सूरत टिकी जिस नीव पर थी

आप क्यूँ उस नीव को ही अब भुलाना चाहते हैं

 

बंगले नौकर गाडी मोटर की तमन्ना तो नयी अब

पर अभी भी प्यार दिल में हम पुराना चाहते हैं

 

पढ़ लिया इतिहास सबने जानते अंजाम भी सब

फिर भी क्यूँ सब खून की नदियाँ बहाना चाहते हैं

 

मांगते कुछ इससे पहले उसने दी दौलत ही ढेरों 

कैसे समझायें उसे दिल में ठिकाना चाहते हैं

 

मैं दिया हूँ काम मेरा करना है रोशन जहाँ ये

क्यूँ मेरी लौ से ही  कोई घर जलाना चाहते है

 

कहते हैं गर आप मुझसे मांग लो जो मांगना तो

ये समझ लो आप को  अपना बनाना चाहते हैं

 

आँखों में देखी तेरी साँसों से जो महसूस करते

बस ग़ज़ल आशू वही अब गुनगुनाना चाहते हैं (F 54)

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 26, 2016 at 12:41pm

आदरणीय महेंद्र भाई जी आपकी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ  दरअसल पहले मैंने दर्शाई गयी बहर में ग़ज़ल पेश की थी अन्तिम समय में मैंने ग़ज़ल में परिवर्तन कर दिया किन्तु बहर में परिवर्तन करना भूल गया मैं संसोधन के लिए एडमिन महोदय से निवेदन करूंगा आखिर के शेर में उद्धृत गलती को भी सुधार रहा हूँ  सादर धन्यवाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 26, 2016 at 12:36pm

आदरणीय समर सर रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ तमामो शब्द पोस्ट करने के बाद मैं ही संशय में गया था ..बोलचाल में कुछ शब्दों का गलत प्रयोग इस तरह की खामी बनकर आ जाता है ..यह शब्द गलत है मैं इसमें परिवर्तन करने के लिए एडमिन महोदय से निवेदन करूंगा सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 26, 2016 at 12:30pm

आदरणीया प्रतिभा जी ..नेट की समस्या के कारण प्रतिक्रिया न कर सका था रचना पर आपकी उत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ सादर धन्यवाद के साथ 

Comment by Mahendra Kumar on July 25, 2016 at 7:36am
आदरणीय आशुतोष जी इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
//जो समंदर पार के ले आदमी वो ही बड़ा अब// क्या इस मिसरे में 'के' की जगह 'कर' किया जा सकता है? देख लीजिएगा। कुछ टंकण त्रुटियों सहित बह्र में आखिरी दीर्घ छूट गया है। आदरणीय समर सर वाली जिज्ञासा मुझे भी है।
//कहते हैं गर आप मुझसे मांग लो जो मांगना तो
ये समझ लो तुमको ही अपना बनाना चाहते हैं//
इस शेर में उला में 'आप' का प्रयोग हुआ है तो सानी में 'तुम' का। दोनों में एक ही का प्रयोग करें 'आप' अथवा 'तुम' का। सादर!
Comment by Samar kabeer on July 24, 2016 at 11:52pm
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
छटे शैर के ऊला मिसरे में "त्मामो"का क्या अर्थ है, बताने का कष्ट करें ।
Comment by pratibha pande on July 24, 2016 at 7:06pm

बंगले नौकर गाडी मोटर की तमन्ना तो नयी अब

पर अभी भी प्यार दिल में हम पुराना चाहते हैं

 

पढ़ लिया इतिहास सबने जानते अंजाम भी सब

फिर भी क्यूँ सब खून की नदियाँ बहाना चाहते हैं..... आज के सन्दर्भ में बहुत सार्थक बात    हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय  डॉ आशुतोष मिश्रा  जी 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service