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अधूरे सपने धोती रहीं.....

अधूरे सपने धोती रहीं .....

मैं तो जागी सारी रात
तूने मानी न मेरी बात
कैसी दी है ये सौगात
कि अखियाँ रुक रुक रोती रहीं
अधूरे सपने धोती रहीं

झूमा सावन में ये मन
हिया में प्यासी रही अग्न
जलता विरह में मधुवन
कि अखियाँ रुक रुक रोती रहीं
अधूरे सपने धोती रहीं.....


नैना कर बैठे इकरार
कैसे अधर करें इंकार
बैरी कर बैठा तकरार
कि अखियाँ रुक रुक रोती रहीं
अधूरे सपने धोती रहीं


मन के उड़ते रहे विहग
प्रीत में ये दृग भूले जग
स्मृति कैसे करूं अलग
कि अखियाँ रुक रुक रोती रहीं
अधूरे सपने धोती रहीं


फिर घिरने लगा है तम
हो गई आहट भी निर्मम
कैसे भूलूँ तुम्हें बलम
कि अखियाँ रुक रुक रोती रहीं
अधूरे सपने धोती रहीं


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 588

Comment

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Comment by Sushil Sarna on July 29, 2016 at 12:50pm

धन्यवाद आदरणीय रक्ताले जी भाई साहिब  ... बहुत सुंदर एडिटिंग हुई है  ... इसमें हम स्वप्न अधूरे भी कर सकते हैं और  अधूरे सपने भी कर सकते हैं  ... मैं आपके सुझाव को मानते हुए प्रस्तुति को एडिट कर पुनः प्रेषित कर रहा हूँ।  आपके सुझाव का तहे दिल  से शुक्रिया। 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 28, 2016 at 10:45pm

जी ! साहब. अभी भी 'वो' खटक ही रहा है. एक सुझाव इस तरह है.सादर.

मैं तो जागी सारी रात
तूने मानी न मेरी बात
कैसी दी है ये  सौगात
कि अखियाँ रुक रुक रोती रहीं
अधूरे सपने धोती रहीं

Comment by Sushil Sarna on July 28, 2016 at 7:22pm

आदरणीय रक्ताले जी भाई साहिब आपकी उपस्थिति ने रचना पर अपनी सुझावात्मक एवं प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया से जीवनदान दे दिया है, आपका तहे दिल से शुक्रिया। अपने जिस बिंदु पर संशय प्रकट किया है उसे यदि इस प्रकार कर दिया जाए तो कैसा रहेगा :
कि अखियाँ रुक रुक रोती रहीं
वो स्वप्न अधूरे धोती रही.........

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 28, 2016 at 3:13pm

आदरणीय सुशील सरना जी सादर  नमन, बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना हुई है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. 

कि अखियाँ रुक रुक रोती रहीं 
स्वप्न नयन के धोती रहीं...............इन स्थायी पंक्तियों में ऐसा प्रतीत हो रहा है रो दोनों आखें रही है और सपने एक आँख के धो रही है. मुझे  लगता है बेहतर होगा यदि नयन शब्द का वहां प्रयोग न कर कुछ और शब्द ले लिया जाए. सादर.

Comment by Sushil Sarna on July 28, 2016 at 2:56pm

मेरे प्यारे दोस्तों प्रस्तुति को  किसी का आशीर्वाद  न मिलने से लगता है इस पोस्ट को यहां से डिलीट कर दूं। 

कृपया ध्यान दे...

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