For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बोलो न
कुछ तो बोलो न
देखो सुबह हो गयी है
आँखों के द्वार खोलो न
चिड़ियाँ भी बुला रही है
बाते उनसे भी कर लो न
मुर्गे ने तड़के बान लगाई
सुनकर उसको उठ जाओ न
बोलो न
कुछ तो बोलो न

ओस की बुँदे
चमक रही पत्तो पर
भीनी हो रही घांस भी
सौंधी सौंधी खुशबू मिट्टी की
उठकर तुम भी ले लो न
बोलो न
कुछ तो बोलो न ।

कलियां खिलने को है आतुर
सूर्य की रौशनी बढ़ रही है
झांक रहे बगुले कहीं पर
है भंवरों की गुंजन कहीं पर
खन खन चूड़ियाँ बज रही है
कहीं बह रहा नालियोँ में पानी ।
हो गयी है सुबह देखो
आँखे अपनी अब खोलो न
बोलो न
कुछ तो बोलो न

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 505

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 1, 2016 at 6:56pm
धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 1, 2016 at 6:54pm
धन्यवाद Dr. Ashutosh Mishra ji
Comment by Shyam Narain Verma on August 1, 2016 at 5:15pm
सुन्दर गीत रचना के लिए बधाई  ..सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 1, 2016 at 3:51pm

आदरणीया कल्पना जी इस सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर बधाई के साथ 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 1, 2016 at 2:05pm
आदाब जनाब समर साहब ।आपको कविता पसंद आई जानकर ख़ुशी हुई। सार्थक हुई यह रचना । तेह दिल से शुक्रिया ।सर
Comment by Samar kabeer on August 1, 2016 at 1:52pm
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,बहुत शानदार कविता लिखी आपने दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 1, 2016 at 12:56pm
धन्यवाद् आदरणीय तेज वीर जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on August 1, 2016 at 12:41pm

हार्दिक आभार आदरणीय कल्पना जी! "बोलो न"  एक सुंदर कविता जिसमें क्या कुछ नहीं बोल दिया आपने! बेहतरीन प्रस्तुति!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service