For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वर्षा की बूंदों में कहीं
उमड़ते घुमड़ते बादल है
हरयाली है हर तरफ
प्रेम प्रीत की बौछार है
सावन के हैं गीत कहीं
कहीं त्योहारों की माला है
मौसम है यह सुहाना
हर मन को यह भाता है ।

गिली मिटटी पर फसल होती
देश के लोगों की भूख है मिटती
किसान की खुशहाली से
धरा भी खुश खुश है रहती ।
सुखी प्यासी धरा बनती दुल्हन
हाथों पर महेंदी है रचती ।

कहीं कटे है पेड़ सभी
कहीं नहर को रोका है
पानी भी अपने राह पर चलता
कभी हंसाता ,कभी रुलाता
बाढ़ बन सबको डराता
बह जाते हैं लोग बहुत
मकान सारे कभी ढह जाते हैं ।

वर्षा का है अपना अलग मिज़ाज़
प्यार कहीं तो कहीं हाहाकार है ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 4, 2016 at 7:48am

वाह ! सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीया कल्पना भट्ट जी.सादर.

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 2, 2016 at 10:29pm
जी आदरणीय सर । इस गलती के लिए पुनः क्षमा । सादर ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2016 at 7:32pm

आपके रचना-व्यवहार केलिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीया. प्रस्तुत करने के पूर्व अपनी रचना को एक बार सचेत नज़रों से दुहरा लिया करें.

और आगे क्या कहूँ ?

सादर

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 2, 2016 at 11:43am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी मौके की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।
Comment by Samar kabeer on August 2, 2016 at 10:46am
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,वर्षा की रिमझिम में इस सुंदर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करे ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 2, 2016 at 9:54am
सर आप सही है । गलतियों के लिए क्षमा चाहूंगी । सादर ।
Comment by Sushil Sarna on August 1, 2016 at 8:57pm

आदरणीय कल्पना जी वर्षा के माध्यम से आपने सुंदर भावों का चित्रण किया है। आ. क्षमा सहित शीर्षक 'वर' समझ नहीं आया। इसके अतिरिक्त शाब्दिक दोष जैसे भूक= भूख ,खुश हाली=खुशहाली ,माकन=मकान ,डेह=ढह आदि के कारण रचना के प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है। कृपया मेरे कहे को अन्यथा न लेवें। हो सकता है मैं भी गलत होऊं। हम सब इस मंच पर विद्यार्थी हैं। भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
23 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
16 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service