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कितना अच्छा होता .....

कितना अच्छा होता .....

कितना अच्छा लगता है
फर्श पर
चाबी के चलते खिलौने देखकर
एक ही गति
एक ही भाव
न किसी से कोई गिला
न शिकवा
ऐ ख़ुदा
कितना अच्छा होता
ग़र तूने मुझे भी
शून्य अहसासों का
खिलौना बनाया होता
अपना ही ग़म होता
अपनी ही ख़ुशी होती
न लबों से मुस्कराहट जाती
न आँखों में नमी होती
सब अपने होते
हकीकत की ज़मीं न होती
ख़्वाबों का जहां न होता
बस ऐ ख़ुदा
तूने हमें भी वो चाबी अता की होती
तो न कोई तड़प होती
न कोई अरमां होता

ये
दिल
दर्द से आशना होता

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on September 21, 2016 at 12:33pm

आदरणीय  Ashok Kumar Raktale   जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 20, 2016 at 10:19pm

आदरणीय सुशील सरना साहब सादर नमस्कार, बहुत सुंदर दिल को छूती रचना की है आपने. जिंदगी में कई बार ऐसी बातें  हो जाती हैं की आदमी सोचता है वह खिलौना होता तो अच्छा होता. कोई भी यूं ही खिलौना हो जाना नहीं चाहता. बहुत-बहुत बधाई. सादर.

Comment by Sushil Sarna on September 20, 2016 at 12:37pm

आदरणीय   अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव  जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 20, 2016 at 12:37pm

आदरणीय  Dr Ashutosh Mishra  जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 20, 2016 at 12:36pm

आदरणीया  rajesh kumari  जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 19, 2016 at 10:38pm

आदरणीय सुशील भाईजी

मनुष्य की ऐसी किस्मत कहाँ  कि वह सम भाव वाला खिलौना हो जाय ।  इस सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 18, 2016 at 3:47pm
आदरणीय शुशील जी सर्वप्रथम तो आपकी इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई आपकी रचना महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना चयनित हुयी है इसके लिए भी ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 18, 2016 at 10:27am

आद० सुशील सरना जी,बहुत सुन्दर दिल तक पंहुचती आपकी ये रचना |बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें |

माह की सर्वश्रेष्ठ रचना में स्थान पाई इसके लिए दिल से बधाई | 

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2016 at 7:22pm

आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब प्रस्तुति ने आपके दिल को स्पर्श किया , ये रचना के लिए गौरव की बात है। हार्दिक आभार सर। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2016 at 11:28am

आदरनीय सुशील भाई , अच्छी कविता हुई , हार्दिक बधाई आपको ।

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