For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितना अच्छा होता .....

कितना अच्छा होता .....

कितना अच्छा लगता है
फर्श पर
चाबी के चलते खिलौने देखकर
एक ही गति
एक ही भाव
न किसी से कोई गिला
न शिकवा
ऐ ख़ुदा
कितना अच्छा होता
ग़र तूने मुझे भी
शून्य अहसासों का
खिलौना बनाया होता
अपना ही ग़म होता
अपनी ही ख़ुशी होती
न लबों से मुस्कराहट जाती
न आँखों में नमी होती
सब अपने होते
हकीकत की ज़मीं न होती
ख़्वाबों का जहां न होता
बस ऐ ख़ुदा
तूने हमें भी वो चाबी अता की होती
तो न कोई तड़प होती
न कोई अरमां होता

ये
दिल
दर्द से आशना होता

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 981

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 21, 2016 at 12:33pm

आदरणीय  Ashok Kumar Raktale   जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 20, 2016 at 10:19pm

आदरणीय सुशील सरना साहब सादर नमस्कार, बहुत सुंदर दिल को छूती रचना की है आपने. जिंदगी में कई बार ऐसी बातें  हो जाती हैं की आदमी सोचता है वह खिलौना होता तो अच्छा होता. कोई भी यूं ही खिलौना हो जाना नहीं चाहता. बहुत-बहुत बधाई. सादर.

Comment by Sushil Sarna on September 20, 2016 at 12:37pm

आदरणीय   अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव  जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 20, 2016 at 12:37pm

आदरणीय  Dr Ashutosh Mishra  जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 20, 2016 at 12:36pm

आदरणीया  rajesh kumari  जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का हार्दिक आभार। 

आपकी आत्मीय बधाई एवम स्नेह का दिल से आभार।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 19, 2016 at 10:38pm

आदरणीय सुशील भाईजी

मनुष्य की ऐसी किस्मत कहाँ  कि वह सम भाव वाला खिलौना हो जाय ।  इस सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 18, 2016 at 3:47pm
आदरणीय शुशील जी सर्वप्रथम तो आपकी इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई आपकी रचना महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना चयनित हुयी है इसके लिए भी ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 18, 2016 at 10:27am

आद० सुशील सरना जी,बहुत सुन्दर दिल तक पंहुचती आपकी ये रचना |बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें |

माह की सर्वश्रेष्ठ रचना में स्थान पाई इसके लिए दिल से बधाई | 

Comment by Sushil Sarna on August 5, 2016 at 7:22pm

आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब प्रस्तुति ने आपके दिल को स्पर्श किया , ये रचना के लिए गौरव की बात है। हार्दिक आभार सर। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2016 at 11:28am

आदरनीय सुशील भाई , अच्छी कविता हुई , हार्दिक बधाई आपको ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
17 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service