22 22 22 22 22 22 - बहरे मीर
अर्थ निकालें, उनको लाली हम भी दे दें
जो भी मर्ज़ी आये गाली हम भी दे दें
किसी शहर में हुआ सुना है आज धमाका
कोई खुश है, आओ ताली हम भीं दे दें
दूर बहुत, आये हैं अपने आकाओं से ,
थोड़ी सी उनको रखवाली हम भी दे दें
थाली के बैंगन वैसे तो साथ लगे. पर
कोई कारण, कोई थाली हम भी दे दें
वैसे तो तैनाती दिखती सभी बाग़ में
फर्दा की खातिर कुछ माली हम भी दे दें
देखें तो आकाश हमें क्या दे पाता है
क्यूँ ना उसको रोज़ सवाली हम भी दे दें
हम जब आये सूना था घर का हर कोना
क्या जवाब में घर को खाली हम भी दे दें ?
वो कहते हैं, झंझट ऐसे मिट जायेगी ,
अपने सर को टोपी जाली , हम भी दे दें
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरनीय रवि भाई , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय राज किशोर भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभार ।
आदरणीय बृजेश भाई , सराहना के लिये आपका आभार ।
आदरणीय सुशील सरना भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय श्याम नाराइन भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभार ।
आदरणीय गिरिराज भाई जी बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर गजल के लिये
वाह अतिसुन्दर
वाह आदरणीय वाह अतिसुन्दर
अर्थ निकालें, उनको लाली हम भी दे दें
जो भी मर्ज़ी आये गाली हम भी दे दें
किसी शहर में हुआ सुना है आज धमाका
कोई खुश है, आओ ताली हम भीं दे दें
बहुत खूब आदरणीय गिरिराज भाई साहिब ... क्या अशआर हैं आपकी इस खूबसूरत ग़ज़ल के .... दिल खुश हो गया। .. दिल से दाद कबूल फऱमाएं सर।
इस सुंदर ग़ज़लक़े लिए हार्दिक बधाई सादर , |
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