For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बस अड्डे में बैठे हुए उसे दो घंटे हो चुके थे। आंधी - तूफ़ान और तेज बारिश ने सारे बसों के पहिंए रुकवा दिए थे। वह बार बार पूछताछ में जाती और अगली गाड़ी कब निकलेगी उसका पता करती। आज उसे अपरिहार्य करणो से देर हो गई थी और अँधेरा हो चुका था। अब उसकी माथे पर सिकन की लकीरे साफ़ देखी जा सकती थी।
कुछ मनचले भी उसे देख- देख कर उसके बातें बनाने लगे थे और बार-बार उसके इर्द-गिर्द चक्कर काट रहे थे। उसे अब डर लगने लगा था। तभी उसकी बगल में एक अधेड़ उम्र का आदमी आकर बैठ गया जो उसे दूर एक चाय के होटल से बैठकर देख रहा था। उस आदमी ने उससे पूछा, " कहाँ जाना है तुम्हे ? " लड़की ने अनसुना कर दिया उसकी बातों को। थोड़ी देर बाद उस आदमी ने फिर से पूछा, " मैंने पूछा कहाँ जा रही हो ? " अब उसने उस आदमी को देखा और बोली, " आपसे मतलब! " उस आदमी ने कहा, " देखो, इस समय ये जगह बदमाशो का अड्डा बन जाती है, और कुछ तो आस-पास ही घूम रहे। " लड़की ने जवाब में कहा, " तो इसमें आपको क्या ? वो मेरी दिक्कत है, मैं इनसे निपट सकती हूँ, आप मेरी चिंता ना करे। " उस आदमी ने ग़ुस्से से कहा, " यही तो तुम नई पीड़ी की समस्या है, बड़ो की सुनते नही, बस अपनी मनमानी करते हो। " लड़की ने उस आदमी झिड़कते हुए कहा, " अज़ीब आदमी हो ? ना जान ना पहचान अच्छा मेरे गले पढ़ रहे। दूर रहो मुझसे। " उस आदमी ने अपने बटुवे से एक फ़ोटो निकाला और कहा, " ये मेरी बेटी है। बिलकुल तुम्हारी ही उम्र की और बहुत ही निडर और स्वतंत्र ख़्यालों वाली थी पर ट्रेन में सफ़र करते वक़्त कुछ बदमाशों ने इसकी इज्ज़त लूट ली और उसके बाद उसे चलती ट्रेन से फ़ेंक दिया। छह दिन बाद उसकी लाश मिली वो भी सड़ी-गली हालत में। " ये कहते हुए उस आदमी का गला भर आया था। लड़की ने ये बात सुनके माफ़ी भरे लहज़े में कहा, " माफ़ कीजियेगा पर मैं अनजानों से ज्यादा बात नही करती। "उस आदमी ने लड़की से कहा, " कोई बात नही। देखो जैसी घटना मेरी बेटी के साथ हुआ वैसी घटना तुम्हारे साथ ना हो, इसलिए मैं उस चाय ठेले से तुम्हारे पास आ गया। "

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 395

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 17, 2016 at 9:42am
अच्छी कथा । थोड़ी कसावट की गुंजाईश दिखाई दे रही है । हार्दिक बधाई आदरणीय।
Comment by Ravi Prabhakar on August 14, 2016 at 7:48pm

प्रिय भाई लघुकथा स्‍पष्‍ट नहीं हो पाई कि इस लघुकथा के माध्‍यम से आप कहना क्‍या चाह रहे हो। कुछ कुछ वर्तनी अशुद्धियां भी खटक रही हैं। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service