For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तीन क्षणिकाएँ

क्षणिका .. १

सूखी पीली झाड़ी सरीखा बाँझ रिश्ता

अँधियाले भरी सांझ में मानो कोई घायल पक्षी

वेदनाओं की नीली गुत्थियाँ खोले

 

क्षणिका .. २

कुम्हलाए साँवले रिश्ते के उदास बगीचे में

सुनता हूँ, "स्नेह अभी भी है"

पर अनस्तित्व को अस्तित्व देती

उस स्नेह में अब मीठी चाशनी नहीं है

क्षणिका .. ३

गहरे अकेले प्रश्नों से बिम्बित

पुराना वेदनामय अस्तित्व ...

बहती है अभी भी रुधिर कोषों में

किसी के प्रति अपरिगणित

सूक्ष्मतम संवेदनाएँँ

मजबूरियों से समझौता करती

असंभव हुई मृत संभावनाएँ

राख में कहीं कुछ बाकी है क्या?

               -----------

--  विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 464

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on October 13, 2016 at 1:56pm

आदरणीय आशुतोष जी, उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार।

Comment by vijay nikore on October 13, 2016 at 1:54pm

आदरणीय विजय शंकर जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।

Comment by vijay nikore on September 5, 2016 at 5:51am

आदरणीय गोपाल नारायन जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 25, 2016 at 4:12pm

आदरणीय निकोर सर ..इन सुंदर छानिकाओं के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 23, 2016 at 11:45pm
सूखी पीली झाड़ी सरीखा बाँझ रिश्ता
बहुत खूब , बधाई, आदरणीय विजय निकोर जी , सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 23, 2016 at 8:26pm

अप्रतिम , आ० निकोर जी . इन क्षणिकाओं में भी वेदना की वही धार है  वही पछतावा वही प्रायश्चित . सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service