For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - अगर विरोधों मे फँस जायें तो दंगा तो है ही ( गिरिराज भंडारी )

22  22  22  22  22  22  22 ( बहरे मीर )

ज्यूँ तालों में रुका हुआ पानी, गंदा तो है ही 

राजनीति में नीति नहीं तब वो धंधा तो है ही

 

अब भाषा की मर्यादा छोड़ें, गाली भी दे लें

अगर विरोधों मे फँस जायें तो दंगा तो है ही

 

दिखे केसरी, हरा न दीखे. तो फिर कानूनों में

घुसा हुआ कोई बन्दा निश्चित अंधा तो है ही

 

डरो नहीं ऐ भारतवासी पाप करम करने में

मैल तुम्हारे धोने को अब माँ गंगा तो है ही

 

सारे झूठे , हाथों में पत्थर ले कर निकलें हैं

अगर मिला ना सच्चा कोई ये बन्दा तो है ही

 

फोकट डर के आप करें न मन छोटा कर्ता के

देश विदेशों से आया आखिर चंदा तो है ही

 

ये संस्कारी है तो इसको ही सुननी है बातें

उसका क्या है वचन करम से वो नंगा तो है ही

*************************************

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 9, 2016 at 9:42pm

वाह  ...हार्दिक बधाई आपको आदरणीय गिरिराज  जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2016 at 10:51am

आदरणीया प्रतिभा जी , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2016 at 10:50am

आदरनीय रवि भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका ह्र्दय से आभार , मुझे आ. समर  का सुझाया मिसरा पहले ही स्वीकार है , बात केवल ये जानने के लिये हुई है , डरो नहीं ऐ भारतवासी  -- व्याकरण के अनुसार सही है या गलत ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2016 at 10:48am

आदरनीया कांता जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभार ।

Comment by pratibha pande on September 5, 2016 at 8:31pm

 

डरो नहीं ऐ भारतवासी पाप करम करने में

मैल तुम्हारे धोने को अब माँ गंगा तो है ही..... वाह  ...हार्दिक बधाई आपको आदरणीय गिरिराज जी .इस शानदार ग़ज़ल के लिए 

 

Comment by Ravi Shukla on September 5, 2016 at 5:07am
आदरणीय गिरिराज भाईजी शानदार कथ्य के साथ बढ़िया ग़ज़ल कहने के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें
सारे झूठे , हाथों में पत्थर ले कर निकलें हैं
अगर मिला ना सच्चा कोई ये बन्दा तो है ही क्या खूब बात कही है दाद क़ुबूल करें।
भाषा और व्याकरण के जानकार जो भी कहते हो इस बह्र के प्रवाह के अनुसार आदरणीय समर साहब का मिसरा डरो नहीं भारत के लोगो पाप कर्म करने से , सुनाने और पढ़ने में तो अच्छा लग रहा है। बाकी लेखक की वैचारिक स्वतंत्रता के हम।सदैव पक्षधर है ।
या सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए । सादर
Comment by kanta roy on September 4, 2016 at 3:06pm
डरो नहीं ऐ भारतवासी पाप करम करने में
मैल तुम्हारे धोने को अब माँ गंगा तो है ही
----- वाह! क्या खूब कटाक्ष हुआ है यहाँ आपका आदरणीय गिरीराज जी। बेहतरीन गजल पेश की है आपने। बधाई आपको
Comment by Samar kabeer on September 2, 2016 at 9:06pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,में ये नहीं कह रहा कि आपका मिसरा सही नहीं है,अचानक ये मिसरा दिमाग़ में आया तो इसलिये लिख दिया कि भूल न जाऊं,हम जिन गुणीजनों का इंतिज़ार कर रहे हैं वो शायद ही आएं वैसे दो एक दिन देख लें,बाद में फैसला तो आप ही को करना है, में हिन्दी में अनाड़ी हूँ भाई ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2016 at 8:20pm

आदरणीय तस्दीक भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2016 at 8:19pm

आदरनीय समर भाई , आप की सलाह बिलकुल सटीक है , मुझे स्वीकार है । लेकिन एक बात रह ही जायेगी कि क्या मेरा मिसरा सच मे गलत है , इसलिये सुधार दो एक दिन बाद करूँगा , वही जो आपने सुझाया है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service