"सारी व्यवस्था आपको ही करना है। लोगों को बुलाना और कार्यक्रम का उद्देश्य को सफलता से प्रस्तुत करना है।"
"जी, लेकिन मैं अकेले कैसे कर पाऊँगी?"
" अकेले कहाँ हैं आप! मैं पीछे से समस्त इंतजाम कर दूँगा , पैसों की चिंता बिलकुल मत करना । बैनर आपका पैसा हमारा, अब सिर्फ हमारे लिये काम करेंगी आप ।"
वह चुप हो इत्मीनान से सुनती रही।जिंदगी अपना नया दाँव चल रही थी।
" अरे मैडम , हम आपको भी पेमेंट करेंगे।"
" मुझे " पे " करेंगे यानि मेरी कीमत देंगे ?"
"जी हाँ, आप अपना समय दे रही है तो.....!"
उस वक्त मन में उठते फ़ेन-सा तिक्त ज्वार के वेग को संभाल वापस घर तो आ गई लेकिन आँखों में ही रात गुजारा उसने।
"नये साल की वह पहली सुबह जैसे बर्फानीा पानी में नहा कर आई थी ।10 बज चुके थे पर सूर्यदेव अब तक धुंध का धवल कंबल ओढ़े आराम फरमा रहे थे ।अनु ने पूजा की थाली तैयार की और ननद के कमरे में झांक कर कहा," नेहा! प्लीज नोनू सो रहा है ,उसका ध्यान रखना।मैं मंदिर जा कर आती हूँ ।"
शीत लहर के तमाचे खाते और ठिठुरते हुए उसने मंदिर वाले पथ पर पग धरे ही थे कि उसके पैरों को जैसे जकड़ लिया ।सामने महाशय लिफाफा लेकर उसके इंतजार में खड़े थे। एक वेग जैसे उफन पड़ा,मन के द्वंद्वों पर वह अब संयत न रह पाई।
" सुनिये , कल के दिये हुए आपके ऑफर के बारे में कुछ कहना है ।आपने मेरा गलत आकलन किया है। मैं अपना जो भी समय खर्च कर रही हूँ , वह आपके लिये नहीं बल्कि समाज के लिये हैं।"
" बात तो वही हुई ,आप यही समझ कर रख लीजिये कि समाज आपको " पे " कर रहा है।"
" .......?, जरा रुकिये , एक काम कीजिये।"
" कैसा काम?"
" दरअसल आपको टैलेंट की नहीं, कठपुतली की जरूरत है। पैसे लेकर बाजार निकल जाईये , आपके काम की पुतलियों की कमी नहीं वहाँ।" कहते हुए आगे बढ़ मंदिर के बाहर टँगी घंटे को उसने दम लगा कर टनकार की ध्वनि ऐसे उत्पन्न किया मानो वातावरण में शुद्धता का संचरण को प्रतिष्ठित कर रही हो।
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
इस आयोजन की भी थोड़ी भूमिका रचना में होती तो रचना का मर्म संप्रेषित हो पाता..कुछ और समय चाहती है ये रचना आदरणीया कांता जी
आद० कांता जी, शिल्प के आधार पर बेशक लघु कथा उम्दा हुई है किन्तु मुख्य बात स्पष्ट होकर नहीं निकली जिससे लघु कथा पर कुछ कहने में असमर्थ पा रही हूँ --कि ऐसा कौन सा आयोजन तथा किन लोगों का था जिसकी व्यवस्था नायिका को करनी थी जिसके लिए उसका जमीर नहीं मान रहा था नायिका तो समाज सेविका है शायद ?
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