For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सर्जिकल स्ट्राइक्स (कविता)

हमने बहुत समझाया
ये समझाने की हद थी,
उस कमबख्त को न
मानने की जिद्द थी,
हर बार हमले के बदले
आम और प्यार भेजा,
लेकिन नापाक ने हर बार
आंतकियों को सीमा पार भेजा,
अब तो हद हो गयी
उरी में सोये जवानों को जलाया,
दुनिया में आंतकी कहलाया,
वीरों ने ठान लिया अब इलाज
जरुरी है ताकि अहसास हो सके,
इसीलिए सर्जिकल स्ट्राइक्स
जरुरी था ताकि दहशत हो सके,
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 768

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harikishan ojha on October 6, 2016 at 9:37pm
आदरणीय अशोक कुमार जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद।
Comment by Ashok Kumar Raktale on October 6, 2016 at 4:15pm

आदरणीय हरिकृष्ण ओझा  जी  सादर, देश  के  वीर  सैनिकों  द्वारा की गई  सटीक सामयिक कार्यवाही  पर सुन्दर  रचना हुई  है.  बहुत-बहुत  बधाई. सादर.

Comment by harikishan ojha on October 6, 2016 at 1:08pm
आ. कल्पना जी आप का बहुत बहुत धन्यवादI
Comment by harikishan ojha on October 6, 2016 at 12:42pm
आ. सुरेश कुमार जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद हौसला अफजाई के लिएI
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 6, 2016 at 11:03am
सुन्दर रचना आदरणीय हरिकिशन ओझा जी बधाई हो ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 7:40pm

अच्छी कविता आदरणीया हरिकिशन ओझा जी बधाई आपको |

Comment by harikishan ojha on October 4, 2016 at 5:07pm
आ. शिज्जु "शकूर" जी आप का बहुत बहुत धन्यवादI

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 3, 2016 at 9:27pm
सामयिक विषय पर अच्छी कविता है आ. हरिकिशन ओझा जी बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service