For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समस्या बड़ी(गीतिका)हिंदी ग़ज़ल

मापनी-212 212 212 212
आधार छंद-(वाचिक स्त्रंगविणी)
_____________________________
धर्म का नाम ही क्यों समस्या बड़ी।
एक ही फूल से पंखुडी है झड़ी।1
-----
भेद भाषा निराशा बनी देश में,
अब कला बन बला युद्ध को है अड़ी। २
-----
शिष्य बिगड़े ग्रहण ज्ञान करते नही,
छीन गुरु हाथ की अब गई जब छड़ी। ३
-----
लाड़लों से जताते रहें प्यार फिर,
लाड़ली पाँव में बेड़िया क्यों पड़ी। ४
-----
चाँद छत पर नहीं आ रहा रूठकर,
रात गुजरी न आई मिलन की घड़ी। ५
-----
मन कहे छोड़ सब लौट चल गाँव को,
भूख इस पेट की राह रोके खड़ी। ६
____________________
सुनील प्रसाद शाहाबादी
मौलिक एवम् अप्रकाशित।

Views: 518

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on October 26, 2016 at 6:53am
आदरणीय सौरभ पांडे जी, आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आदरणीय राम बली जी भाई आप सबका इस स्नेह के लिए आभारी हूँ।
Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2016 at 12:42pm
वाह वाह आद0 सुनील भाई जी सुंदर ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार करें।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2016 at 11:40am

आदरणीय सुनील भाई , बहुत बढ़िया  गज़ल कही है आपने , दिल से बधाइयाँ स्वीकार कीजिये ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 25, 2016 at 10:33am

गीत पुल्लिंग संज्ञा है. 

इस प्रयास के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय. वैसे, ऐसी विधा की रचनाओं के वाक्यों के विन्यास पर तनिक और ध्यान देने की आवश्यकता है. 

शुभेच्छाएँ.

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on October 25, 2016 at 7:07am
मोहतरम समीर कबीर जी आपका तहेदिल इस्तकबाल भाषा के मुआमले में मै थोड़ा कमजोर हूँ इस लिहाज से खुद सटीक कुछ नहीं कह सकता आपकी रायशुमारी का बेहद शुक्रिया गीत संभवतः स्त्रीलिंग होने के कारण अड़ी शब्द आ गयी वैसे आप बेहतर सुझाव दे सकते है जिसका इन्तजार रहेगा आशंकित मै भी हूँ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2016 at 1:57pm
जनाब सुनील प्रसाद जी आदाब,बढ़िया गीतिका हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
'गीत साहित्य भी युद्ध को है अड़ी' इस पंक्ति में कुछ शंका है 'अड़ी' को 'अड़े' होना चाहिए,कृपया समाधान करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service