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समस्या बड़ी(गीतिका)हिंदी ग़ज़ल

मापनी-212 212 212 212
आधार छंद-(वाचिक स्त्रंगविणी)
_____________________________
धर्म का नाम ही क्यों समस्या बड़ी।
एक ही फूल से पंखुडी है झड़ी।1
-----
भेद भाषा निराशा बनी देश में,
अब कला बन बला युद्ध को है अड़ी। २
-----
शिष्य बिगड़े ग्रहण ज्ञान करते नही,
छीन गुरु हाथ की अब गई जब छड़ी। ३
-----
लाड़लों से जताते रहें प्यार फिर,
लाड़ली पाँव में बेड़िया क्यों पड़ी। ४
-----
चाँद छत पर नहीं आ रहा रूठकर,
रात गुजरी न आई मिलन की घड़ी। ५
-----
मन कहे छोड़ सब लौट चल गाँव को,
भूख इस पेट की राह रोके खड़ी। ६
____________________
सुनील प्रसाद शाहाबादी
मौलिक एवम् अप्रकाशित।

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Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on October 26, 2016 at 6:53am
आदरणीय सौरभ पांडे जी, आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आदरणीय राम बली जी भाई आप सबका इस स्नेह के लिए आभारी हूँ।
Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2016 at 12:42pm
वाह वाह आद0 सुनील भाई जी सुंदर ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार करें।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2016 at 11:40am

आदरणीय सुनील भाई , बहुत बढ़िया  गज़ल कही है आपने , दिल से बधाइयाँ स्वीकार कीजिये ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 25, 2016 at 10:33am

गीत पुल्लिंग संज्ञा है. 

इस प्रयास के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय. वैसे, ऐसी विधा की रचनाओं के वाक्यों के विन्यास पर तनिक और ध्यान देने की आवश्यकता है. 

शुभेच्छाएँ.

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on October 25, 2016 at 7:07am
मोहतरम समीर कबीर जी आपका तहेदिल इस्तकबाल भाषा के मुआमले में मै थोड़ा कमजोर हूँ इस लिहाज से खुद सटीक कुछ नहीं कह सकता आपकी रायशुमारी का बेहद शुक्रिया गीत संभवतः स्त्रीलिंग होने के कारण अड़ी शब्द आ गयी वैसे आप बेहतर सुझाव दे सकते है जिसका इन्तजार रहेगा आशंकित मै भी हूँ।
Comment by Samar kabeer on October 24, 2016 at 1:57pm
जनाब सुनील प्रसाद जी आदाब,बढ़िया गीतिका हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
'गीत साहित्य भी युद्ध को है अड़ी' इस पंक्ति में कुछ शंका है 'अड़ी' को 'अड़े' होना चाहिए,कृपया समाधान करें ।

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