नफरत न करना ..
प्यार
कितनी पावन
अनुभूति है
ये
पात्रानुसार
स्वयं को
हर रिश्ते
के चरित्र में
अपनी पावनता के साथ
ढाल लेता है
ये
आदि है
अनंत है
ये जीवन का
पावन बसंत है
प्यार
तर्क वितरक से
परे है
प्यार तो
हर किसी से
बेख़ौफ़
किया जा सकता है
मगर
नफ़रत !
ये प्यार सी
पावन नहीं होती
ये वो अगन है
जो ख़ुद भी जलती है
औरों को भी
जलाती है
प्यार से
नफरत तो मिट सकती है
मगर
नफ़रत की ज़मीं पे
कभी प्यार के
अंकुर नहीं फूटते
बस
इक दमघोटू
धुँआ शेष रहता है
जो हरदम
यही कहता है
कि करना
तो सिर्फ
प्यार ही करना
कभी किसी के वास्ते
नफरत न करना
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी प्रस्तुति को आत्मीय मान से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। त्यौहारी व्यस्तता के चलते आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ।
आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति को आत्मीय मान से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। त्यौहारी व्यस्तता के चलते आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ।
नफ़रत की ज़मीं पे
कभी प्यार के
अंकुर नहीं फूटते
बस
इक दमघोटू
धुँआ शेष रहता है ..............वाह
सुन्दर प्रस्तुति आ० सुशील सरना जी
हार्दिक बधाई
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