उपहार.....
मौसम बदलेगा
तो
कुछ तो नया होगा
गुलों के झुरमट में
मैं तुम्हें
छुप छुप के
निहारता होऊंगा
तुम भी होगी
कहीं
प्रकृति के शृंगार की
अप्रतिम नयी कोपल में
छिपी यौवन की
नयी आभा सी
क्या
दृष्टिभाव की
ये अनुभूति
बदले मौसम का
उपहार न होगी
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी प्रस्तुति अपने स्नेहिल शब्दों से मान देने का दिल से आभार । आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं। त्यौहारी व्यस्तता के चलते आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ।
आदरणीय सौरभ सर प्रस्तुति के भावों को अपने स्नेहिल शब्दों से अलंकृत करने का दिल से आभार । आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं। त्यौहारी व्यस्तता के चलते आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ।
आदरणीय समर कबीर साहिब आपकी शुभकामनाओं का तहे दिल से आभार। आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं। त्यौहारी व्यस्तता के चलते आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ , क्षमा चाहता हूँ।
वाह ! बहुत सुन्दर ....
मौसम में बदलाव सोच और अनुभूतियों के आयामों में भी परिलक्षित होते हैं.... और गुलाबी छुअन लिए शरादागमन के साथ ही आपकी इस सुन्दर अभिव्यक्ति ने मन मोह लिया
बहुत बहुत बधाई आ० सुशिल सरना जी
बहुत ही सरस भाव अभिव्यक्त हुए हैं, आदरणीय !
कालीदास ने ऋतु-संहारम् में शरद का वर्णन करते हुए कहा है - फूले हुए काँस के वस्त्र पहने, मस्त हंसों के स्वर के विछुए पहने, पके हुए धान से मनोहर शरीर वाली और खिले हुए कमल के समान सुन्दर सुखवाली शरद ऋतु नववधू की तरह आ गई ...
प्रतीत होता है आपमें कालीदास की आत्मा नये बिम्बों के साथ प्रवेश कर गयी है.
जय-जय
आदरणीय Samar kabeer जी प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार। आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online