For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक चौथा बन्दर भी है
जिसने हटवा दिए हैं हाथ
उन तीनों बन्दरों के
आँख, कान और मुँह से
अब
वो सुन सकते हैं
बोल सकते हैं
देख सकते हैं
वह सब
जो चौथा बन्दर
सुनता है
बोलता है
देखता है
साथ ही
तीनों बन्दर
लगे हैं अपने जैसे
और भी बन्दर बनाने में
जो वही सुनें
वही बोलें
वही देखें
जो चौथा बन्दर
चाहता है
और जब
कोई बन्दर
कर देता है इंकार
उन तीनों जैसा
बनने से
तो वो तीनों बन्दर
उसकी पूँछ पकड़ कर
रखवा देते हैं उसका हाथ
उसी की आँख
कान
और मुँह पर!

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 852

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on February 3, 2017 at 7:51pm
आदरणीय बृजेश जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थित होकर उसका मान बढ़ाने के लिए आपका हार्दिक आभार। प्रस्तुत कविता में 'तीन बन्दर' प्रतीक का तात्त्पर्य अन्ध अनुयायियों से है। कथ्य के विषय में आपकी सलाह उचित है। मैं भविष्य में ध्यान रखूँगा। सादर धन्यवाद।
Comment by बृजेश नीरज on January 16, 2017 at 10:13pm

सबने बहुत तारीफ़ की है आपकी रचना की. मेरी ओर से भी बहुत बधाई.
लेकिन 'तीन बन्दर' प्रतीक से आपकी रचना का परस्पर सम्बन्ध स्थापित नहीं कर सका. कृपया मेरा मार्गदर्शन करने का कष्ट करें.
अपने कथ्य पर आपको और काम करना चाहिए. कविता वैसी साउंड नहीं कर रही, जैसी आप कराना चाहते थे.
क्षमा सहित!

Comment by Mahendra Kumar on December 13, 2016 at 9:32pm
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा जी। सादर।
Comment by pratibha pande on December 13, 2016 at 8:37am

चौथे बन्दर के माध्यम से खूब तंज कसा है सामयिक परिस्थितियों पर आपने  हार्दिक बधाई आपको  ... आदरणीय महेंद्र  कुमार जी  

Comment by Mahendra Kumar on December 8, 2016 at 7:12pm
हार्दिक आभार आदरणीय सोमेश जी। सादर।
Comment by somesh kumar on December 8, 2016 at 1:04pm

राजनैतिक सन्दर्भ में बहुत ही यथार्थपरक कविता 

Comment by Mahendra Kumar on December 7, 2016 at 7:39pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी। सादर।
Comment by नाथ सोनांचली on December 7, 2016 at 1:42pm
आद0 महेन्द्र कुमार जी सादर अभिवादन, आपकी कृति चौथा बन्दर समसामायिक दृष्टिकोण को समेटे यथार्थ प्रतिबिम्ब को प्रदर्शित करता है, उत्तम रचना के लिए मेरी कोटिश बधाईयाँ
Comment by Mahendra Kumar on December 7, 2016 at 9:24am
आदरणीय मिथिलेश सर, आपकी मुक्त कंठ प्रशंसा से अभिभूत हूँ। रचना को पसंद करने और मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। सादर।
Comment by Mahendra Kumar on December 7, 2016 at 9:19am
आदरणीय समर कबीर सर,सादर आदाब। रचना आपको पसंद आयी इसके लिए दिल से आभार। आपने आदरणीय योगराज सर की जिस लघुकथा का ज़िक्र किया है वह मैंने भी पढ़ी थी। एक शानदार लघुकथा थी वह जिससे मैं बेहद प्रभावित हुआ। यह कविता समान शीर्षक सहित उसी प्रभाव की परिणति है। इस कविता के माध्यम से मैं आदरणीय योगराज सर को भी कोटिशः धन्यवाद व्यक्त करता हूँ जिनसे, इस मंच पर आप सभी सहित, बहुत कुछ सीखने को मिलता है। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Feb 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Feb 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service