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ग़ज़ल : हो गयी नंगी सियासत, वजह क्या है ?

 

ग़ज़ल

भूख-वहशी , भ्रम -इबादत वजह क्या है
हो गयी नंगी सियासत, वजह क्या है ?

 

मछलियों को श्वेत बगुलों की तरफ से -
मिल रही क्या खूब दावत, वजह क्या है ?

 

राजपथ पर लड़ रहे हैं भेडिये सब -
आम -जन की जान आफत, वजह क्या है ?

 

वीर योद्धाओं के पावन मुल्क में अब -
खो गयी मर्दों की ताक़त, वजह क्या है ?

 

आजकल बेटों को अपने बाप की भी -
कड़वी लगती है नसीहत, वजह क्या है ?

 

यूँ ग़ैर की करते तरफदारी '' प्रभात''
क्यों नहीं अपनों की चाहत, वजह क्या है ?

() रवीन्द्र प्रभात

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Comment

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 26, 2011 at 10:21am

बहुत खूब रविन्द्र प्रभात जी , हम सब भी उसी वजह को तलाश रहे है पर वजह है की मिलने का नाम नहीं लेती, राजनीति पर शानदार कटाक्ष |

राजपथ पर लड़ रहे भेडिये वाला शेर ख़ास तारीफ़ के योग्य है , शानदार प्रस्तुति पर बधाई आपको |

उम्मीद है आपकी और भी कृतियाँ और अन्य साथियों की कृतियों पर आपकी बहुमूल्य टिप्पणियाँ पढने को मिलती रहेंगी |

Comment by आशीष यादव on May 25, 2011 at 12:23pm
Ek shandar sher. Aaj ka rajnitik pariwesh jhalak rha h. Badhai.

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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