For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आओ मिलकर चमन सजायें -आशुतोष

नवबर्ष पर हार्दिक शुभकामनाये 

आओ मिलकर चमन सजायें

गीत नए फिर मिलकर गायें

कुमकुम रोली से रंग धरती

दर पर वन्दनवार लगाये

जान दे रहे हैं सरहद पर

आज भारती के जो लाल

उनके सीने हैं फौलादी

उन्हें डराएगा क्या काल

मुल्क पड़ोसी को अब आओ

हम उसकी औकात दिखाएं

आओ मिलकर चमन सजायें

गीत नए फिर मिलकर गायें

अश्क बहाने से होती

तौहीन शेर दिल वीरों की

अश्कों से बलिदान चमक

फीकी पड़ती इन हीरों की

अमर शहीदों के जयकारे

गली गली में आज लगायें

आओ मिलकर चमन सजायें

गीत नए फिर मिलकर गायें

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई

सबका है बलिदान बड़ा

महल शहादत से ही सबके

लोकतंत्र का अडिग खड़ा

जाती पांति के भेद भुलाकर

आओ सबको गले लगायें

आओ मिलकर चमन सजायें

गीत नए फिर मिलकर गायें

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2017 at 5:00pm

आदरनीय आशुतोष भाई , ओज पूर्ण अच्छी गीत रचना की है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 3, 2017 at 12:17pm

आदरणीय मिथिलेश जी ..आपके मार्गदर्शन से गीत बिधा को पहली बार थोडा समझ सका ..आगे के प्रयासों पर आपकी प्रतिक्रियासे मुझे अपने गीतों को संवारने में निश्चित ही मदद मिलेगी .हार्दिक धन्यवाद और सादर प्रणाम के साथ 

Comment by vijay nikore on January 3, 2017 at 11:43am

आदरणीय मित्र आशुतोष जी, मैंने आपके गीत को हलके-हलके गा कर देखा... बहुत ही अच्छा लगा। हार्दिक बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 3, 2017 at 12:16am

आदरणीय आशुतोष जी, बहुत बढ़िया गीत लिखा है आपने. गीत की प्रस्तुति इस तरह हो तो वह आकर्षक हो जाता है-

आओ मिलकर चमन सजायें, गीत नए फिर मिलकर गायें

दर पर वन्दनवार लगायें

जान दे रहे हैं सरहद पर, भारत माँ के लाल सभी 

जिनके सीने हैं फौलादी, उनसे डरते काल सभी 

मुल्क पड़ोसी को अब आओ,

हम उसकी औकात दिखाएं

अश्क बहाने से होती तौहीन शेर दिल वीरों की

अश्कों से बलिदान चमक फीकी पड़ती हैं हीरों की

अमर शहीदों के जयकारे

गली गली में आज लगायें

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई सबका है बलिदान बड़ा

महल शहादत से ही सबके लोकतंत्र का अडिग खड़ा

जाती पांति के भेद भुलाकर

आओ सबको गले लगायें

गीत का मुखड़ा (16) मात्रा आधारित और अंतरा (16-14) बन रहा है.

इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 1, 2017 at 11:15pm
आदरणीय समर सर आपका सतह उत्साह वर्धन करना और मार्गदर्शन हताश नहीं होने देता है लगभग सभी रचनाओ पर आपकी प्रतिकिया ऐ अपनी और दूसरी रचनाओं में हुयी चूक का पता चलता है और तैनाओं को सुधारने में मदद मिलती है नए बर्ष पर आपको सादर प्रयाम करते हुए हार्दिक शुभकामनायें प्रेषित कर रहा हूँ सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 1, 2017 at 11:09pm
आदरणीय गोपाल सर आदरणीय मिथिलेश जी के गीत को पढ़कर पहली बार गीत लिखा है इसके तकनीकी पक्ष की मुझे कोई जानकारी नहीं है आदरणीय सर गीत का मेरा प्रथम प्रयास है सर इसमें भी मात्र ग़ज़ल जैसे गिनी जाती हैअथवा कोई अलग तरीका है मैंने तो बस गाते हुए लिखा है मात्राओं के बिषय में आपका मार्गदर्शन का दादर निवेदन है नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनायें सादर प्रणाम के साथ
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 1, 2017 at 10:11pm

आ० सोलह मात्रिक इस रचना में कही कही मात्रा कम या अधिक हुयी है उसे जांच ले . बाकी सुन्दर रचना .

Comment by Samar kabeer on January 1, 2017 at 2:59pm
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आपको भी नया साल मुबारक हो ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
18 seconds ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय चेतन जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
43 seconds ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
1 minute ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
2 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय यमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
3 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
4 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, आपकी इस इज़्ज़त अफ़ज़ाई के लिए आपका शुक्रगुज़ार रहूँगा। "
56 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ भाई आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी ठीक है *इल्तिजा मस'अले को सुलझाना प्यार से ---जो चाहे हो रास्ता निकलने में देर कितनी लगती…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । ग़ज़ल तक आने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः । "गिर के फिर सँभलने…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ठीक है खुल के जीने का दिल में हौसला अगर हो तो  मौत   को   दहलने में …"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत अच्छी इस्लाह की है आपने आदरणीय। //लब-कुशाई का लब्बो-लुबाब यह है कि कम से कम ओ बी ओ पर कोई भी…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service