For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122    1212   22  

 

श्याम तेरी अलक में खो जाऊं

एक न्यारे खलक में खो जाऊं

 

नेह से आँख जो हुयी बोझिल

बंद तेरी पलक में खो जाऊं

 

तू अँधेरे में काश दिख जाये 

और मैं उस झलक में खो जाऊं

 

रूप ऐसा कि थे सभी पागल

मैं उसी छवि-छलक में खो जाऊं

 

है सुना वह तेरा ठिकाना है  

तो चलूँ उस फलक में खो जाऊं

 

 (मौलिक /अप्रकाशित )

 

 

 

 

 

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 4, 2017 at 7:32pm

आ० मिथिलेश जी , सादर आभात्र .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 4, 2017 at 7:31pm

आ० अनुज , बहुत बहुत आभार .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 4, 2017 at 7:31pm

आ० रोहिताश्व जी , शुक्रिया .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 4, 2017 at 7:30pm

आ० निकोर जी , अनुग्रहीत हुआ  सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2017 at 5:12pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , तंग काफिया के लर भी बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2017 at 5:12pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , तंग काफिया के लर भी बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2017 at 5:12pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , तंग काफिया के लर भी बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by रोहिताश्व मिश्रा on January 3, 2017 at 2:24pm
Vaah sir...
Comment by vijay nikore on January 3, 2017 at 11:50am

// तू अँधेरे में काश दिख जाये 

और मैं उस झलक में खो जाऊं //...

वाह ! बहुत ही खूबसूरत ख्याल है।

आपकी गज़ल पढ़ कर आनन्द आ गया, आदरणीय भाई गोपाल नारायन जी।

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 3, 2017 at 12:42am

आदरणीय गोपाल सर बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. हार्दिक बधाई. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
9 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service