चांदनी ... (क्षणिका)
तमाम शब्
माहताब
अर्श पर
मुझे
घूरता रहा
रकीबों सा
निचोड़ता रहा
मन की झील पर
मैं
उसकी
चांदनी
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीय Mohammed Arif साहिब सृजन में निहित भावों को अपने स्नेहिल शब्दों से मान देने का हार्दिक आभार।
आदरणीय विजय निकोर साहिब सृजन में निहित भावों पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभार।
//निचोड़ता रहा
मन की झील पर
मैं
उसकी
चांदनी//
वाह, आनन्द आ गया। बहुत ही खूबसूरत भाव ! बधाई, आदरणीय सुशील जी।
आदरणीय रामबली गुप्ता जी प्रस्तुति को अपने आत्मीय स्नेह से मान देने का हार्दिक आभार।
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी प्रस्तुति को अपने आत्मीय स्नेह से मान देने का हार्दिक आभार।
आदरणीय सुशील भाई , कम शब्दों मे सटीक कविता रची है आपने , हार्दिक बधाइयाँ
आदरणीय Mahendra Kumar जी प्रस्तुति को अपने आत्मीय स्नेह से मान देने का हार्दिक आभार।
आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी प्रस्तुति को अपने आत्मीय स्नेह से मान देने का हार्दिक आभार।
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