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मुस्कुरा दे वो अगर समझो सवाल अच्छा है (तरही गजल)

बह्र 2122 1122 1122 22

सोने चाँदी का जहाँ में न ख़याल अच्छा है
वक़्त पर काम जो आये वही माल अच्छा हैं।

हम जवाब़ो से परखते है रजामंदी को
मुस्कुरा दे वो अगर समझो सवाल अच्छा हैं।

शोर चलने नहीं देता है ये संसद यारो
फिर भी कैसे मै कहूँ ये कि बवाल अच्छा है।

एक सीमा में है अल्फाज़ पे सख़्ती लाज़िम
हद में रह कर जो करेंगे वो धमाल अच्छा है।।

मर रहे भूख से बच्चे तो कही बेबस माँ
वो समझते है कि इस देश का हाल अच्छा है।

अच्छे दिन कैसे कहूँ इनको बताओ यारो
हाल बदला नहीं फिर कैसे मआल अच्छा है?

बै अमल जितने हैं, ख़ुश हो के यही रटते हैं
"इक बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है।"

कर गुज़रने की तमन्ना हो अगर कुछ दिल में
फिर जो आये वो ज़वानी का उबाल अच्छा है।

चैन की नींद न आई तेरी यादों में 'नाथ'
मेरे दिल को किया तूने ये हलाल अच्छा है।

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by vijay nikore on January 7, 2017 at 9:51pm

 //एक सीमा में है अल्फाज़ पे सख़्ती लाज़िम
हद में रह कर जो करेंगे वो धमाल अच्छा है।।//

सभी शेर बहुत अच्छे लगे ... हर शेर दाद के काबिल । हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on January 6, 2017 at 5:03pm
आद0 गिरिराज भंडारी जी आपकी उत्साह बढाती इस प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 6, 2017 at 2:05pm

आदरनीय सुरेन्द्र भाई ,ग़ालिब की तरह पर खूबसूरत गज़ल कही है , मुबारकबाद कुबूल कीजिये

Comment by नाथ सोनांचली on January 6, 2017 at 12:19pm
डॉ आशुतोष मिश्रा जी सादर अभिवादन, आपकी इस अनमोल प्रतिक्रिया से उत्साह बढ़ा है, आभार आपका।
Comment by नाथ सोनांचली on January 6, 2017 at 12:19pm
डॉ आशुतोष मिश्रा जी सादर अभिवादन, आपकी इस अनमोल प्रतिक्रिया से उत्साह बढ़ा है, आभार आपका।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 6, 2017 at 9:24am
आदरणीय सुरेन्द्र जी बिलकुल अलग अंदाज नें ग़ज़ल हुयी हैइस रचना के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकर करें सादर
Comment by नाथ सोनांचली on January 6, 2017 at 6:23am
आदरणीय मिथिलेश जी सादर अभिवादन, आपकी इस उत्साह बढाती प्रतिक्रिया से मेरा हौसला बढ़ा है, दिल से साधुवाद और आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 6, 2017 at 3:10am

आदरणीय सुरेन्द्र जी, चचा ग़ालिब की जमीन पर लाज़वाब ग़ज़ल कही है आपने. दिल खुश कर दिया. हालाते-मुल्क पर एक से बढ़कर एक अशआर कहें है आपने. इस शानदार ग़ज़ल पर दिल से दाद कुबूल फरमाएं. वाह वाह वाह.

सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on January 5, 2017 at 12:08pm
आद0 नरेन्द्र सिंह चौहान जी उत्साहवर्धन के लिए आभार आपका
Comment by नाथ सोनांचली on January 5, 2017 at 12:07pm
आद0 महेंद्र कुमार जी इस उत्साहवर्धन के लिए शुक्रगुजार हूँ, आपकी बात सही है।

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