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ग़ज़ल (पिछली यादों में लौट आए हैं)

फाइलातुन मुफाइलुन फेलुन/फइलुन

पिछली यादों में लौट आए हैं

हम बहारों में लौट आए हैं

जाग जाओ उदास ताबीरों 

ख़्वाब आँखों में लौट आए हैं

हम मिले भी यहीं, यहीं बिछड़े

किन ख़यालों में लौट आए हैं

चेहरे पे नूर लौट आएगा

अश्क आँखों में लौट आए हैं

जो मकानों से जा चुके थे मकीं 

वो मकानों में लौट आए हैं 

मौलिक और अप्रकाशित

...दीपक कुमार

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Comment by दीपक कुमार on January 9, 2017 at 1:40pm

बृजेश भाई, बहुत-बहुत शुक्रिया !  बहुत-बहुत धन्यवाद !  

Comment by दीपक कुमार on January 9, 2017 at 1:37pm

आदरणीय गिरिराज जी आपकी खूबसूरत बधाइयों के लिए आपका शुक्रगुज़ार हूँ । बहुत-बहुत धन्यवाद !

Comment by दीपक कुमार on January 9, 2017 at 1:32pm

आदरणीय आशुतोष जी बहुत-बहुत शुक्रिया, बहुत-बहुत धन्यवाद !

Comment by दीपक कुमार on January 9, 2017 at 1:29pm

आदरणीय समर कबीर जी बेहद ममनून हूँ आपका । बहुत-बहुत शुक्रिया । 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 8, 2017 at 5:29pm
वाह बहुत खूबसूरत लिखा बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 8, 2017 at 1:26pm

आदरणीय दीपक भाई , खूब सूरत गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2017 at 5:04pm
आदरणीय दीपक जी इस। उम्दा प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by Samar kabeer on January 7, 2017 at 3:23pm
जनाब दीपक कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by दीपक कुमार on January 7, 2017 at 12:34pm

आदरणीय महेन्द्र जी बहुत – बहुत शुक्रिया आपका। आपको ग़ज़ल पसंद आयी जानकार बहुत खुशी हुई। सादर। 

Comment by Mahendra Kumar on January 7, 2017 at 11:18am
आदरणीय दीपक जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

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