For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही गजल/सतविन्द्र कुमार राणा

1222 1222 1222 122
चला दुनिया को समझाने जो घर तकरार रखता है
नहीं हैं पूछते अपने वो क्या अधिकार रखता है?

चला है जीतता वो जो,खुदा से प्यार रखता है
भले ही जीत मिलती याद फिर भी हार रखता है

जमीं अपनी नहीं कोई यही लेकिन गुमाँ दिल में
*वो अपनी मुठ्ठियों में बांधकर संसार रखता है!*

लगा क्यों दब गया है वो सभी जुल्मों से अब डरकर?
खमोशी सी है चहरे पे मगर ललकार रखता है।

हमेशा चाहता अच्छा जो भी अपने ही बच्चों का
दिखे है सख्त ऊपर से वो अंदर प्यार रखता है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 510

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 10, 2017 at 10:46pm
आदरणीय महेंद्र कुमार जी,सुख़न नवाजी के लिए शुक्रिया !यह स्नेह यूँ ही बना रहे!सादर
Comment by Mahendra Kumar on January 8, 2017 at 9:53am
आदरणीय सतविन्द्र जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। मेरी तरफ से ढेरों बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 7, 2017 at 9:17pm
आदरणीय डॉ आशुतोष जी सादर,प्रयास को पसन्द कर हौंसला बढाने के लिए सादर आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 7, 2017 at 9:15pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर,प्रयास को पसन्द कर प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 7, 2017 at 9:13pm
आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन!प्रयास आपको पसन्द आया,मुझे हौंसला मिला।बहुत् बहुत् आभार आपका।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2017 at 5:23pm
आदरणीय सतविंदर जी मुझे यह ग़ज़ल बड़ी सूक्ष्म ऑब्जरवेशन के कारण बेहद पसंद आयी इस ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 7, 2017 at 5:23pm
आदरणीय सतविंदर जी मुझे यह ग़ज़ल बड़ी सूक्ष्म ऑब्जरवेशन के कारण बेहद पसंद आयी इस ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 3:13pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने, दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं. सादर 

Comment by Samar kabeer on January 7, 2017 at 3:02pm
जनाब सतविन्दर कुमार जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service