For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -कि सरकार भी मोतबर आपकी है-- ( गिरिराज भंडारी )

122  122    12 2    122
जिधर भी मैं जाऊँ डगर आपकी है

हवा मे फज़ा में ख़बर आपकी है


महज़ रात थी आपके हक़ में लेकिन

सुना है कि अब हर पहर आपकी है

 

हरिक पुत्र को मुफ़्त मिलती है ममता

तो, ममता भी अब उम्र भर आपकी है

 

रपट कौन लिक्खे सभी आपके हैं

कि सरकार भी मोतबर आपकी है

 

ज़ियारत करें ना करें आप लेकिन

सियासत पे टेढ़ी नज़र आपकी है

 

नज़ीर आपकी अब मैं दूँ भी तो कैसे

हरी-सावनी सी नज़र आपकी है 


*********************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2017 at 4:37pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , जी समझ गया , सुधारने का प्रयास कर रहा हूँ , आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2017 at 4:36pm

आदरनीय अभिषेक भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2017 at 4:35pm

आदरणीय तस्दीक भाई , सराहना और सलाह के लिये आपका हार्दिक आभार , सुधारने का प्रयास कर रहा हूँ ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 14, 2017 at 9:33pm

आ० अनुज , आ० तस्दीक भाई की बात में दम हैजब आप हरिक  की बात करते है  तब  -- हरिक काली रात ही चलेगा  , काली रातों नहीं   सादर .

Comment by Abhishek kumar singh on January 12, 2017 at 9:31pm
वाहहहहहह बहुत सुंदर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 12, 2017 at 6:57pm

मुहतरम जनाब गिरिराज साहिब , अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
शेर 2 के ऊला मिसरे में '' हर इक काली रात '' या '' काली रातों '' देख लीजियेगा --


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2017 at 5:00pm

आदरनीय मिथिलेश भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

मै बह्र सुधारा था , उसी समय , और एक शेर और भी जोड़ा था , एडिट करके , लेकिन पता नही क्यों एडिट के बाद वाली गज़ल कैसे प्रकाशित नही हुई , क्यों एडिट हो ही नही पायी  पता नहीं ...   वो शेर भी मेरे पास रिकार्ड मे नही है , क्योंकि मुझे तुरंत सूझा था और वहीं लिख दिया था . सोचा कि बाद मे नोट कर लूँगा ... साइट के बटन आज कल ठीक काम नहीं कर रहे हैं ।

अब फिर से सही बहर लिख दूँगा .....  याद दिलाने के लिये आपका आभार ।

सही बहर -- 122   122   122   122  है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2017 at 4:51pm

आदरणीय समर भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका । जी आपने सही कहा , नज़ीर स्त्री लिंग है , सुधार लूँगा , आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2017 at 4:51pm

आदरणीय समर भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका । जी आपने सही कहा , नज़ीर स्त्री लिंग है , सुधार लूँगा , आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2017 at 4:50pm

आदरणीय सुशील भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Jul 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service