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सारे जहाँ को आप तो नादाँ समझते हैं
हद ये है अपने आप को इंसाँ समझते हैं
अह्ल ए अदब जो चमके है औरों के ताब से
खुद को मगर वो लाल ए बदख़्शाँ समझते हैं
आमाल में हमारे ही कमियाँ न हों जनाब
शैतान को भी लोग मुसलमाँ समझते हैं
बातों से जब न बात बनी, सर झुका लिया
धोखे में हैं जो उसको पशेमाँ समझते हैं
फिरती है वो हलक में लिए जान, और आप
कुत्तों के बीच जीने को आसाँ समझते हैं
Meanings:
अह्ले अदब – साहित्यकार, लाल – Ruby
बदख़्शाँ – अफ़गानिस्तान का एक प्रांत जो बेशकीमती लाल(Ruby) के लिए प्रसिद्ध है
आमाल – आचार व्यवहार, पशेमाँ – शर्मिंदा
-मौलिक व अप्रकाशित
Comment
वाह, वाह, वाह, क्या गज़ब के शेर हैं इस ग़ज़ल में, दिल को छू गया| //धोखे में हैं जो उनको पशेमाँ समझते हैं//, कमाल लिखा है आपने| दिल से मुबारकवाद क़ुबूल कीजिये इस शानदार ग़ज़ल के लिए
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