212 1222 212 1222
वक्त मेरे हाथों से, यूँ फिसल गया चुपचाप
मेरी हर तमन्ना को, वो कुचल गया चुपचाप
चाक दिल, शिकस्ता पा, बेचराग़ गलियों से
भूल अपने ख्वाबों को, मैं निकल गया चुपचाप
एक आइना था मैं, कोई वार मौसम का
देखिये मेरी फितरत, ही बदल गया चुपचाप
कब तलक बचा रहता, आग थी मेरे अंदर
जलना ही था मुझको तो, देख जल गया चुपचाप
साथ खींच कर अपने, दिन को शाम तक देखो
छोड़कर मुझे हैराँ, शम्स ढल गया चुपचाप
Meaning:
चाक दिल – जख़्मी दिल, शिकस्ता पा – असहाय, फितरत - स्वभाव, शम्स – सूरज
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरनीय शिज्जु भाई , बहुत शान्दार गज़ल हुई है , सभी अशआर काबिले दाद हैं , बधाइयाँ स्वीकार करें
आदरणीय शिज्जू जी .काफी समय के बाद आपकी रचना के रसास्वादन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है आपकी रचनाओं के माध्यम से जहाँ उर्दू के शब्दों की नवीनतम जानकारी मिलती है वही सोच को भी व्यापक आयाम मिलता है नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाये प्रेषित करते हे हार्दिक बधाई प्रेषित कर रहा हूँ /सादर
आदरणीय शिज्जू भाई जी, लाज़वाब ग़ज़ल कही है. दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर
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