For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सारे जहाँ को आप तो नादाँ समझते हैं

221 2121 1221 212

सारे जहाँ को आप तो नादाँ समझते हैं

हद ये है अपने आप को इंसाँ समझते हैं

 

अह्ल ए अदब जो चमके है औरों के ताब से

खुद को मगर वो लाल ए बदख़्शाँ समझते हैं

 

आमाल में हमारे ही कमियाँ न हों जनाब

शैतान को भी लोग मुसलमाँ समझते हैं

 

बातों से जब न बात बनी, सर झुका लिया

धोखे में हैं जो उसको पशेमाँ समझते हैं

 

फिरती है वो हलक में लिए जान, और आप

कुत्तों के बीच जीने को आसाँ समझते हैं

 

Meanings:

अह्ले अदब – साहित्यकार, लाल – Ruby

बदख़्शाँ – अफ़गानिस्तान का एक प्रांत जो बेशकीमती लाल(Ruby) के लिए प्रसिद्ध है

आमाल – आचार व्यवहार, पशेमाँ – शर्मिंदा

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 740

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 19, 2017 at 6:18pm

ग़ज़ल को मुहब्बतों से नवाज़ने के लिए आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2017 at 4:20pm

आदरणीय शिज्जु भाई , खूब सूरत गज़ल के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Abhishek kumar singh on January 12, 2017 at 9:36pm
बहुत खूब
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 12, 2017 at 8:47pm
बेहद खूब आदरणीय ...बधाइयाँ
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on January 12, 2017 at 8:36pm
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल मोहतरम दिली दाद है।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 12, 2017 at 7:09pm

मुहतरम जनाब शकूर साहिब , अच्छी ग़ज़ल हुई है , शेर दर शेर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2017 at 7:19pm

सारे जहाँ को आप तो नादाँ समझते हैं
हद ये है अपने आप को इंसाँ समझते हैं

बहुत खूब आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब .... खूबसूरत अहसासों से सजे अशआर ग़ज़ल को नया आयाम दे रहे हैं। इस दिलकश प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर।

Comment by Mohammed Arif on January 11, 2017 at 5:18pm
आदरणीय शिज्जू शकूर साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल । ढेरों बधाईयाँ !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 11, 2017 at 3:33pm

आदरणीय शिज्जु भाई जी, आपने बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही है, एक से बढ़कर एक अशआर कहे है आपने.  शेर-दर-शेर दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on January 11, 2017 at 2:53pm
आद0 शिज्जू शकूर जी सादर अभिवादन, बहुत उम्दा ग़ज़ल आपने कही, किसी एक शैर को क्या कहूँ, सभी एक से बढ़कर एक, दाद हाजिर है, मुबारकबाद कबूल फरमाएँ। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
8 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service