For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - कह दिये , हर वास्ता जाता रहा ( गिरिराज भंडारी )

2122     2122       212  

दिल से जब नाम-ए ख़ुदा जाता रहा

दरमियानी मो’जिजा जाता रहा

 

ख़ुद पे आयीं मुश्किलें तो, शेख जी

क्यूँ भला हर फल्सफ़ा जाता रहा

 

जो इधर थे हो गये जब से उधर

कह दिये , हर वास्ता जाता रहा

 

अब ख़बर में वाक़िया कुछ और है

था जो कल का हादसा जाता रहा

 

गर हुजूम –ए शहर का है साथ , तो  

जो किया तुमने बुरा जाता रहा

 

आँखों में पट्टी, तराजू हाथ में

जब दिखे, तो हौसला जाता रहा

 

कह ज़दीद, अब का ज़माना और है

वक़्त कल का इश्क़िया, जाता रहा

*********************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

मो' जिजा = चमत्कार , फल्सफा = दर्शन ( शास्त्र ) , ज़दीद = आधुनिक

Views: 1004

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 16, 2017 at 5:33pm

आ. काली पद भाई , आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 16, 2017 at 5:32pm

आदरणीय मो. आरिफ भाई , आपका  ह्र्दय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 16, 2017 at 5:32pm

आदरणीय समर भाई , सराहना के लिये आपका आभार ।

Comment by Kalipad Prasad Mandal on January 29, 2017 at 4:57pm

आ गिरिराज जी बहुत उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई | मो'जिज़  का अर्थ शब्द कोष में "आश्चर्य में डालने वाला " दिया है लेकिन आदरणीय समर कबीर साहिब ने जो समझाया उससे अर्थ और स्पष्ट होगया | अब इसको कभी भूलेंगे नहीं |सादर 

Comment by Mohammed Arif on January 27, 2017 at 8:31pm
आदरणीय गिरिराजजी, एकदम उम्दा ग़ज़ल , बधाई क़ुबूल करें ।
Comment by Samar kabeer on January 26, 2017 at 9:03pm
अब आपका मतला बहतरीन हो गया है,मेरे कहे को मान देने के लिये बहुत शुक्रिया ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2017 at 7:51pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , आपने सही कहा , एक शन्द को समझाने के लिये आ. समर भाई जी ने बहुत समय दिया । अब मंच को चाहिये कि इस चर्चा का लाभ उठाये ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2017 at 7:49pm

आदरणीय नवीन भाई , गज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2017 at 7:48pm

क्या बात है , आदरणीय समर भाई , आपने मोजिज़ा के अर्थ को समझाने के लिये अपना इतना कीमती समय दिया , ज़रूर मंच इस चर्चा से लाभांवित होगा । आपका हार्दिक आभार ।

मतले के सानी को बदलने के बाद  अब मतला को कृपया ऐसे पढ़ने की कृपा करें --

दिल से जब नाम - ए - ख़ुदा जाता रहा

'' हर करिश्मा बीच का , जाता रहा ''


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2017 at 7:42pm

आदरणीय बृजेश भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
12 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
13 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service