1222-1222-1222-1222
जहां में आप सा हमको कोई कामिल नहीं मिलता
मिले हमको कई अच्छे मगर आकिल नहीं मिलता
जिन्हें तूफ़ान से लड़ना उन्हें फिर कौन रोकेगा
वही पाते हैं मंजिल को जिन्हें साहिल नहीं मिलता
तुम्हें मालूम है लेकिन बता सकते नहीं किस्सा
अजब घटना घटी देखो हमें फाजिल नहीं मिलता
खुदा मालिक है दुनिया का उसे सबसे मुहब्बत है
सहारा वो नहीं देता कभी साहिल नहीं मिलता
गगन मिट्टी हवा पानी हमें जीने को देता है
बसा कण कण में वो देखो कहाँ शामिल नहीं मिलता
दया करना गरीबों पे यही तो ईद है कहती
मिलेगी देख फिर खुशियाँ खुदा गाफिल नहीं मिलता
मुनीश 'तन्हा'...
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय समर जी आदाब ,साहिल नही मिलता आपने गलती की तरफ ध्यान दिलाया, आपका आभार आगे भी मार्गदर्शन करते रहें
आदरणीय मुनीश भाई , बेहरईन गज़ल कही है , दिली मुबारक बाद हाज़िर है , कुबूल करें ।
आदरणीय मुनीश तनहा जी बहुत उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई |
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