For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस प्यार को सदा ही निभाते रहेंगे हम

२२१ – २१२२ -१२२१ -२१२
इस प्यार को सदा ही निभाते रहेंगे हम
दुश्वार रास्ता हो भले पर चलेंगे हम
सच बोलने के साथ में हिम्मत अगर रही
फिर फूल की तरह ही सदा वस खिलेंगे हम
जब सांस थी तो कर्म न अच्छा कभी किया
इक आग जुर्म की है जिसे अब सहेंगे हम
तरकीब जिन्दगी में अगर काम आ गई
मुंह आईने में देख के परदे सिलेंगे हम
है चैन जिन्दगी में कहाँ ढूँढ़ते फिरें
दिन रात के हिसाब में उलझे मिलेंगे हम
मैली करो न सोच खुदा से जरा डरो
टेढ़ी नजर हुई तो कहाँ फिर बचेंगे हम
अपनी सुनी गई जो अदालत में देख लो
“तन्हा” कसम खुदा की सदा सच कहेंगे हम

.
मुनीश “तन्हा” नादौन
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 570

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 4, 2017 at 2:08pm
जनाब मुनीश तन्हा साहिब ,ग़ज़ल की अच्छी कोशिश ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। शेर 2 उला मिसरे में अगर रही को रही अगर कर लीजिए ,आपने ग़ज़ल में क़ाफिये सही नहीं लिए ,देखियेगा ---/
(रहेंगे,सहेंगे,कहेंगे ),चलेंगे ,(खिलेंगे,सिलेंगे,मिलेंगे ), बचेंगे ---

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2017 at 6:23pm

आदरणीय मुनीश भाई , अच्छी गज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on September 2, 2017 at 5:45am
आदरणीय मुनीश तन्हा जी ने आदाब, शे'र दर शे'र के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए क़ाफ़िया बन्दी पर जनाब समर साहब की बात का संज्ञान लें।
Comment by Samar kabeer on September 1, 2017 at 3:33pm
जनाब मुनीष तन्हा जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।
दूसरे शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये 'अगर रही'
Comment by Mohammed Arif on September 1, 2017 at 11:14am
आदरणीय मुनीश तन्हा जी ने आदाब, शे'र दर शे'र के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
Comment by PHOOL SINGH on August 31, 2017 at 4:03pm

बेहतरीन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service