फिर उठीं है जाग देखों शहर में शैतानियाँ
दर्द आहों में बदलने क्यूँ लगी कुर्वानियाँ
जान लेने को खड़े तैयार सारे आदमी
हर जगह बढ़ने लगी है आज कल विरानियाँ
घूमते थे रात दिन हम आपकी ही चाह में
जब समझ आया खुदा तो हो गईं आसानियाँ
जोड़ तिनके है बनाया आशियाँ तुम सोच लो
आबरू इस में छुपी है मत करो नादानियाँ
गंध आने है लगी क्यूँ फिर यहाँ बारूद की
याद कर तू बस खुदा को छोड़ बेईमानियाँ
आदमी मजबूर देखो हो गया इस दौर में
खून में शामिल…
ContinueAdded by munish tanha on March 10, 2019 at 8:00pm — 3 Comments
इस तरह जिन्दगी तमाम करें
लोग आ कर हमें सलाम करें
झूठ का अब न एहतराम करें
इस तरह का भी इंतिजाम करें
तू वना खुद को इस तरह शीशा
देख चेहरा सभी सलाम करें
इस तरह वख्श बन्दगी दाता
सुबह से शाम राम-राम करें
आप के हाथ अब नहीं बाजी
आप अब और कोई काम करें
आज तौफिक दे खुदा सबको
देश पर जां लुटा के नाम करें
देख नफरत उदास है “तन्हा”
आस्तां में कहीं कयाम करें
मुनीश “तन्हा”
मौलिक व् अप्रकाशित
Added by munish tanha on November 29, 2018 at 9:30pm — 2 Comments
Added by munish tanha on October 16, 2017 at 9:30am — 4 Comments
२२१ – २१२२ -१२२१ -२१२
इस प्यार को सदा ही निभाते रहेंगे हम
दुश्वार रास्ता हो भले पर चलेंगे हम
सच बोलने के साथ में हिम्मत अगर रही
फिर फूल की तरह ही सदा वस खिलेंगे हम
जब सांस थी तो कर्म न अच्छा कभी किया
इक आग जुर्म की है जिसे अब सहेंगे हम
तरकीब जिन्दगी में अगर काम आ गई
मुंह आईने में देख के परदे सिलेंगे हम
है चैन जिन्दगी में कहाँ ढूँढ़ते फिरें
दिन रात के हिसाब में उलझे मिलेंगे हम
मैली करो न सोच खुदा से जरा डरो
टेढ़ी नजर हुई तो…
Added by munish tanha on August 31, 2017 at 3:30pm — 6 Comments
1222-1222-1222-1222
जहां में आप सा हमको कोई कामिल नहीं मिलता
मिले हमको कई अच्छे मगर आकिल नहीं मिलता
जिन्हें तूफ़ान से लड़ना उन्हें फिर कौन रोकेगा
वही पाते हैं मंजिल को जिन्हें साहिल नहीं मिलता
तुम्हें मालूम है लेकिन बता सकते नहीं किस्सा
अजब घटना घटी देखो हमें फाजिल नहीं मिलता
खुदा मालिक है दुनिया का उसे सबसे मुहब्बत है
सहारा वो नहीं देता कभी साहिल नहीं मिलता
गगन मिट्टी हवा पानी हमें जीने को देता है
बसा…
Added by munish tanha on January 26, 2017 at 10:00pm — 5 Comments
दर्द जो नातवां से उठता है
शोर वो आस्तां से उठता है
गीत भी देख लो छुपे भीतर
दर्द दिल में जहां से उठता है
नाम की भूख ने बदल डाला
क्यूँ धुंआ अब यहाँ से उठता है
प्यार बांटो सदा जमाने में
बोल सच्चा फुगां से उठता है
उम्र बीती समझ नहीं आया
रोज झगड़ा बयां से उठता है
जिंदगी आज बन्दगी 'तन्हा'
नाम उसका ही जां से उठता है....
.
मुनीश 'तन्हा'.
मौलिक व अप्रकाशित
Added by munish tanha on January 24, 2017 at 5:30pm — 5 Comments
१२२-१२२-१२२-१२२
यही बात दिल देख मेरा जलाये
तुझे याद भी क्या जरा हम न आए
मुहब्बत किसी से करो तो पता हो
इशारे से महबूब कैसे बुलाये
गुनाहों ने तुमको कहीं का न छोड़ा
शराफत खड़ी मुंह में ये बुदबुदाये
खुदा प्यार बांटे सभी को हमेशा
यही सोच मुझको सदा गुदगुदाये
बफा साथ लेकर परीक्षा है आती
दुआ है खुदा से मुझे आजमाये
नदी गुनगुनाती हुई बह रही है
मिलन साथ सागर तभी खिलखिलाए
.
मुनीश…
ContinueAdded by munish tanha on July 24, 2016 at 11:30am — 2 Comments
122 – 122 – 122 - 122
न मुश्किल बढ़ा आजमाने से पहले
नजर को मिला दिल लगाने से पहले
सफ़र ज़िन्दगी का रहा फिर अधूरा
खुदा याद आया न जाने से पहले
वो दिन रात हलकान पैसे में देखो
करे मोल बाज़ार आने से पहले
तुम्हे भी तो आखिर यही सब मिलेगा
जरा सोच लो तुम सताने से पहले
मुहब्बत में शर्तें तो होती नहीं हैं
सही पाठ पढ़ लो ज़माने से पहले
.
गयी…
ContinueAdded by munish tanha on June 29, 2016 at 5:30pm — 4 Comments
1222-1222-1222-1222
ग़ज़ल
बदलना भी ज़रूरी है सदा अच्छा नही रहता
खुदा से प्यार करते हो तो फिर पर्दा नही रहता
हमारे सामने देखो बना अफसर से वो माली
दिनों का फेर है साहिब सदा पैसा नहीं रहता
बने गद्दारहै जो घूमें करें हैं देश से धोखा
उन्हें फिर मौत मिलती है निशां उनका नहीं रहता
जमीं तिड्की हलक प्यासे तडपते है परिंदे भी
लगाये पेड़ जो होते तो फिर सूखा नही रहता
ये नफरत की हैं दीवारें इन्हें तुम तोड़ दो वरना…
Added by munish tanha on May 26, 2016 at 9:30am — 3 Comments
2122-2122-212
ग़ज़ल
इस तरह सब पे इनायत कीजिए
बोल कर मीठा इबादत कीजिए
यूँ न दुनिया से बगावत कीजिए
दिल मिला सब से मुहब्बत कीजिए
चाँद छत पे आ गया तुम को नज़र
पेश अपनी अब शराफत कीजिए
नफरतें सारी ये मिटटी में मिलें
प्यार को ऐसी इमारत कीजिए
बोल भारत की जमीं तुमसे रही
माँ समझ कर कुछ तो इज्जत कीजिए
मुनीश “तन्हा” नादौन 9882892447 (मौलिक…
ContinueAdded by munish tanha on May 23, 2016 at 7:17pm — 4 Comments
212 – 212 – 212 – 212 ग़ज़ल
किस तरह आप से मैं कहूं प्यार है
जिक्र से ही हुआ दिल जो गुलज़ार है
आपका साथ है और क्या चाहिए
आप ही का बना दिल तलबगार है
जान लो तुम मुहब्बत तो है इक बला
इस से बचना बड़ा ही तो दुशवार है
रोग उसको अचानक ही समझो लगा
अब बना घूमता वो तो अख़बार है
जब हकीकत समझ आई तो देर थी
जो हुआ सो हुआ अब तो इकरार है
हुस्न ने लूट लाखों लिए सोच कर
हो गया इक नया जख्म सरकार है
मुनीश…
ContinueAdded by munish tanha on May 17, 2016 at 10:30am — 6 Comments
ग़ज़ल2122-1212-22
अब तो चेहरा गुलाब लगता है
ना पढ़ी वो किताब लगता है
दर से तेरे खुदा असर पाया
रात दिन अब सबाब लगता है
जब से डूबी है सोहनी इसमें
मुझको कातिल चिनाब लगता है
खुश वो दिखता बहुत है अब सबको
जख्म गहरा जनाब लगता है
प्यार के नाम पर करे झगड़ा
सोच के ही इताब लगता है
मुनीश 'तन्हा'....नादौन...9882892447
मौलिक व अप्रकाशित
Added by munish tanha on May 16, 2016 at 6:04pm — 2 Comments
22-22-22-22-22-22-22-2
सच को लिख कर तुम दुनिया में होने का इज़हार करो
झूठी बातेँ सारी छोड़ो दिल को ना लाचार करो
गर जीवन में मुश्किल आए हिम्मत को मत हारो तुम
शिकवे छोड़ो मन में ठानो फिर ख़ुद को औज़ार करो
कितने अच्छे वो दिन लगते जब हम छोटे बच्चे थे
मम्मी पापा कहते फिरते मत दिन को बेकार करो
नफरत जग में जिसने बांटी देखो उसका हाल बुरा
तोड़ो सारी तुम दीवारें मिल के सबसे प्यार करो
मिट्टी पानी आग हवा केवल जरिया…
ContinueAdded by munish tanha on May 7, 2016 at 11:30am — 2 Comments
2122 - 1212 - 22
जख्म दे के हवा करे कोई
इस तरह भी वफ़ा करे कोई
आप तो मेरी जान हो जानम
देख कर ये जला करे कोई
प्यार में शर्त तुम लगाते हो
सोच कर के दगा करे कोई
दूर मंजिल तो रास्ता केसा
रात औ दिन चला करे कोई
वो बना है मरीज इस खातिर
पास उस के रहा करे कोई
हर कदम झूठ फ़िक्र धोखा है
अब कहाँ तक सहा करे कोई
.
मुनीश “तन्हा” नादौन…
ContinueAdded by munish tanha on May 5, 2016 at 9:00pm — 2 Comments
2122 - 2122 - 2122 - 212
सांस उनको देख कर के है इधर चलने लगी
कब मिले वो रोज मुझको आरजू रहने लगी
.
फ़िक्र में हर दम ये दिल डूबा मुझे अब है लगे
उनको अपना है बनाना सोच ये जगने लगी
.
प्यार की गलियाँ बड़ी बदनाम दुनिया में मगर
क्या करें अपनी तबियत जो अगर सजने लगी
.
आप तो हैं हुस्न की तस्वीर जो अनमोल है
ये करिश्मा देख कर दुनिया भी अब जलने लगी
.
ख़ुद खुदा भी सोच के अब है परेशां हो रहा
के बनाकर…
ContinueAdded by munish tanha on May 4, 2016 at 1:00pm — 3 Comments
2122 2122 2122 212
इस तरह इक औ नया रिश्ता यहाँ बनता गया
आप हम से ना मिले औ दिल गरां बनता गया
दिल से दिल मिलने लगे जब तो जहाँ बनता गया
प्यार से भरपूर रोशन आशियाँ बनता गया
मिल फकीरों की दुआ से फायदा ये है हुआ
घर मेरा भी धीरे - धीरे आस्तां बनता गया
मैं पलटने जब चला किस्मत तो खाली हाथ था
मेहनत के साथ फिर तो कारवां बनता गया
रोज कुछ बाजार से लाने की आदत बन गयी
और फिर तो घर में मेरे…
ContinueAdded by munish tanha on April 28, 2016 at 9:00am — 5 Comments
1222-1222-1222-1222
दिवाना आप का होकर फिरे वो यार बरसों से
लिए फिरता है दिल में वो तो तेरा प्यार बरसों से
हुआ है ज़िक्र महफ़िल में उसी की बात का लेकिन
बना रहता है वो मजनू करे दीदार बरसों से
अदालत ये अनोखी है जहाँ पे झूठ चलता है
हुए कैदी मिली फांसी जो थे सरदार बरसों से
जरा दिल की सुनो तो जी बड़ा मासूम भोला है
पड़ा धोखे में जाकर ये लुटा घर बार बरसों से
मेरे मौला सफर में हूँ अता कर फ़िक्र ना मुझको
दे वो ढूँढा…
Added by munish tanha on April 25, 2016 at 10:00pm — 3 Comments
1222 -1222-1222-1222
उन्हें ढूंढे मेरी ऑंखें बनी बीमार बरसों से
निकलता ही नहीं दिल से मेरा दिलदार बरसों से
नहीं काबू रहा ये दिल, तेरी उल्फ़त का जादू है
धड़कता है मचल कर ये मेरी सरकार बरसों से
किया है वायदा उसने कि अच्छे दिन मैं लाऊंगा
तभी विश्वास से जनता है बैठी यार बरसों से
नहीं झुकना नहीं गिरना कसम तुमको है भारत की
हिमालय आज है मांगे दिया जो प्यार बरसों से
वही धोखा है फितरत में कि तौबाजिस से की…
ContinueAdded by munish tanha on April 23, 2016 at 10:30am — 3 Comments
Added by munish tanha on April 21, 2016 at 3:50pm — 7 Comments
Added by munish tanha on April 21, 2016 at 3:50pm — 1 Comment
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