दुनिया में है अपना देश महान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ।
करुणा, दया,और धर्म से वंचित
मानवता को करते ये लज्जित
प्रभु के ऊपर खुद होते सुशोभित
कहते जग में हम सबसे विद्वान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥
शील समाधि प्रज्ञा सबसे वंचित
सभी को पता है इनकी हकीकत
अज्ञानता से चलती है सियासत
वेद ज्ञान से विमुख ये पुरोहित
देश में चहुं दिश फैला अज्ञान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥
देव दासी प्रथा खूब थी प्रचलित
काम क्रोध लालच में सब संलिप्त
वर्ण व्यवस्था समाज में सृजित
मेहनतकस हुआ ज्ञान से वंचित
भूख लाचारी से त्रस्त था इंसान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥
राजा के द्वारा समाज था पोषित
धरम के नाम पर जनता शोषित
ऊंच नीच से आधी जनता पीड़ित
गरीबों को लूटते हैं सभी पुरोहित
इन सबसे अंजान स्वयं भगवान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥
ये देश में लाना चाहते मनुस्मृति
देश की प्रगति को करते बाधित
लोगों को कर रहे हैं दिग भ्रमित
ये चिकनी बातों से करते मोहित
मिटाना चाहते देश का संविधान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥
काम, क्रोध, लालच दर्प से ग्रसित
समाज में बढ़ती समता से कुंठित
अज्ञानता का राज हो रहा खंडित
गरीबों के होते उत्थान से चिंतित
आज देश में फैला है सच्चा ज्ञान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
श्री मान कबीर जी आपने मेरी रचना को सराहा इसके लिए मेरा आपको बहुत बहुत आभार स्वीकार हो
आपको को बहुत बहुत आभार एवं हृदय से धन्यवाद
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