शिक्षा के पंख लगे जब मानव तन में
रंक बने राजा हमारे देश के शासन में
झूमता हृदय सबका खुशी से उमंग में
संभव है सब कुछ आज इस जगत में
धरती को नापे डाले मात्र एक क्षण में
सागर को कैद करले अपनी मुट्ठी में
हिमालय जीत का स्वप्न रखे मन में
अपने यश की पताका गाड़दे अंबर में
भ्रम सारे टूट जाएँ जो फैले समाज में
नफरत मिट जाएँ आपसी व्यवहार में
विकास की नदी बहा दे अपने देश में
समता की फसल खूब लहरे समाज में
आज ममता, भाईचारा दिखे समाज में
करुणा का सागर भरा सब के दिल में
दादुर मोर कोकिला सब नाचते बन में
मानवता के सारे दुश्मन रोते बाजार में
नारी भी कम नहीं प्रतिस्पर्धा के युग में
पुरुषो को पीछे छोड़ा इस कठिन दौर में
शिक्षा के पंख लगे जब मानव तन में
मौलिक एवं अप्रकाशित
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आपको सहृदय आभार स्वीकार हो अपने मेरी रचना को पढ़ा और अपने अमूल्य विचार दिये मैं आपका शुक्र गुजार हूँ
शिक्षा के महत्व को दर्शाती रचना के लिए बधाई
आपको सहृदय आभार व्यक्त करता हूँ अपने मेरे विचारों को अपना अमूल्य समय देकर पढ़ा और मेरा उत्साह वर्धन के लिए एक बार फिर से बधाई स्वीकार हो
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