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दो इतनी बस भीख मुझे ......

मत्तगयंद सवैया :-
============

 

दो इतनी बस भीख मुझे मन, और न माँग रहा कुछ स्वामी|

नाम जपे दिन रात सदा मुख, गान करे रसना गुण स्वामी||

रूप मनोहर देख सदा दृग, शीतल हो मन पावन स्वामी |

याचक “सत्य” करे विनती नित , शीश नवा पद पंकज स्वामी|१|

 

याद बड़ी शुभदायक औ तव, रूप बड़ा मन मोहक स्वामी|

भक्त कृपालु उदार मना तुम, भक्त कृपा लहते तव स्वामी||

बन्धु सखा गुरु मात पिता तुम, हो भव सागर तारक स्वामी|

जीवन की तुम आस प्रभो! तुम,हो शुभ पूर्ण मनोरथ स्वामी|२|

- मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by Satyanarayan Singh on March 6, 2017 at 12:01pm

आदरणीय महेंद्र कुमार जी प्रस्तुति को सराहकर मान बढाने  हेतु आपका मन से  आभार  व्यक्त करता हूँ 

Comment by Mahendra Kumar on February 25, 2017 at 8:03pm
आदरणीय सत्यनारायण जी, इस बढ़िया प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है। सादर।

कृपया ध्यान दे...

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