For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-नूर की -क्या है ज़िन्दगी,

२१२२,२१२२, २१२२, २१२ 
.
सोचने लगता हूँ अक्सर मैं कि क्या है ज़िन्दगी,
आग पानी आसमां धरती हवा है ज़िन्दगी.
.
मौत जो मंज़िल है उसका रास्ता है ज़िन्दगी,
या कि अपने ही गुनाहों की सज़ा है ज़िन्दगी.
.
बिन तुम्हारे इक मुसलसल हादसा है ज़िन्दगी,
सच कहूँ! ज़िन्दा हूँ लेकिन बेमज़ा है ज़िन्दगी.
.
ज़िन्दगी की हर अलामत यूँ तो आती है नज़र,
शोर है शहरों में फिर भी लापता है ज़िन्दगी.
.
दिल मुहल्ले में कभी फेरी लगाने आइये,
आप की यादों से भी ना-आशना है ज़िन्दगी.
.
जानें किस किस की सुनाती है कहानी तू मुझे
क्या मेरा क़िस्सा भी तूने सुन रखा है ज़िन्दगी?
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित  

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2017 at 8:27am

शुक्रिया आ. महेंद्र जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2017 at 8:27am

शुक्रिया आ. गिरिराज जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2017 at 8:27am

शुक्रिया आ. बैजनाथ जी 

Comment by Mahendra Kumar on March 7, 2017 at 10:07pm
बहुत बढ़िया ग़ज़ल है आ. नीलेश जी। हार्दिक बधाई प्रेषित है। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 7, 2017 at 3:06pm

आदरनीय नीलेश भाई , खूबसूरत गज़ल  हुई है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on March 5, 2017 at 2:40pm

 बहुत सुन्दर ग़ज़ल ....बधाई स्वीकार करें आदरणीय 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 5, 2017 at 1:57pm

शुक्रिया आ. राजेश दीदी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2017 at 9:07pm

वाह्ह्ह्ह बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई आद० नीलेश भैया शेर दर शेर दाद लीजिये .

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 4, 2017 at 8:47pm

शुक्रिया आ. डॉ आशुतोष जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 4, 2017 at 3:40pm

आदरणीय नूर जी .हर शेर एक से बढ़कर एक   बहुत बढ़िया इस  रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service