For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुहब्बत खूबसूरत है, इसे बदनाम मत करना।
देना दिल तबीयत से, कभी अहसान मत करना।
खुदा की ये नियामत है, नहीं हर एक को मिलती।
ये नेमत हाथ लग जाये, कभी इंकार मत करना।

मुहब्बत खेल मत समझो, खुदा की ये इबादत है।
यही इंसान की फितरत, यही शमसीर कुदरत है।
मुहब्बत का परिंदा है यहां, हर शख्स हर जर्रा।
दिलों में क्यों भरा नफरत, जहां में क्यों अदावत है।

बुरा वो मान लें शायद, करूं इजहार यदि उनसे।
गिरा दें मुझको नजरों से, जता दूं प्यार यदि उनसे।
अगर वो साथ चलते तो, जहन्नुम भी हंसी होता।
खुदा भी मिल गया मुझको, मिले अभिसार यदि उनसे।

हमारी खूबियां भूलो, न चाहो तुम हमें जाना।
बहुत आसां नहीं होगा, ख्यालों से मिटा पाना।
गिले शिकवे बहुत होंगे, कई गुस्ताखियां होगी।
रहे बस याद कोई था, तुम्हारा एक दीवाना।

बजा है साज मधुरिम तब, सुना आवाज जब उनका।
मिली सारी खुशी हमको, हुआ दीदार जब उनका।
खुदा भी मिल गया होता, अगर हां कर दिये होते।
कयामत आ गया मुझ पर, मिला इंकार जब उनका।

कभी सोचा नहीं मैंने, कि ये भी सोच लेंगे सब।
हमारी कल्पना को भी, किसी से जोड़ देंगे सब।
लिखूंगा मैं कोई कविता, बनेगी सौ कहानी फिर।
अधूरी हर कहानी में, नया कुछ जोड़ देंगे सब।

मेरा दिल और का धन है, वो दिल और उनका है।
किसी मैं और का रहबर, साहिल और उनका है।
मिले होते अगर पहले, तो शायद सोचते लेकिन।
सफर मेरा अलग उनसे, मंजिल और उनका है।

मिलेगा सिर्फ उतना ही, लिखा जो भाग्य में होगा।
समय से और पहले भी, नहीं कुछ हाथ में होगा।
तड़प ले चाहे जितना हम, मुताबिक खुद के वो देता।
किसी को पहले हो जाये, किसी का बाद में होगा।

बुरे का संग किया तुमने, कहां परिणाम शुभ होगा।
करेगा पार क्या तुमको, फंसा मझधार खुद होगा।
बड़ों से की बगावत जो, नहीं रणनीति अच्छी थी।
किसी का दिल दुखाया गर, तुझे भी खूब दुख होगा।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 656

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 21, 2017 at 3:32pm

आदरनीय विन्ध्येश्वरी भाई , सभी मुक्तक बेहतरीन रचे हैं , हार्दिक बधाई आपको

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 19, 2017 at 8:28am
आदरणीय मो. आरिफ सर! सादर नमन,
अवश्य सर, प्रेम ही सब कुछ है। रचना कघ सराहना के लिये आपका बहुत-बहुत आभार।
Comment by Mohammed Arif on March 18, 2017 at 10:12pm
आदरणीय विन्ध्येश्वरी जी आदाब,कितने प्यार ख़ूबसूरत प्यार के रंग में मुक्तक। प्यार ज़िंदगी है, प्यार तिश्नगी है, बंदगी है, प्यार कोई महाजनी हिसाब-क़िताब नहीं है , प्यार वही सच्चा है जिसमें दायित्व हो , जिसमें ज़िम्मेदारी हो,अहसासों की बगिया हरदम महकती रहना चाहिए, भरोसे की अटल-अडिग चट्टान हो । शेष तीन मुक्तकों में नीति की बात है । वाह वाह वाह वाह हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
yesterday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service