अरकान- 1222 1222 1222 1222
मुहब्बत में सनम हरदम न मुझको आजमाना तुम|
अकेलापन सताता है कि वापस आ भी जाना तुम|
मुहब्बत खेल है बच्चों का शायद तुम समझते हो,
अगर घुट-घुट के मरना है तो फिर दिल को लगाना तुम,
वतन के नाम कर देना जवानी-ऐशोइशरत औ
कटा देना ये सर अपना मगर सर मत झुकाना तुम|
कफस में डाल के दुश्मन को मौका और मत देना ,
उड़ा के सर ही दुश्मन का धरम अपना निभाना तुम|
मुहब्बत धार है तलवार की चलना संभल के दोस्त,
नसीहत मान बस मेरी कि दिल को मत लगाना तुम,
भले ही याद मत करना कभी बापू व नेहरू को,
मगर अशफाक-मंगल औ भगत को मत भुलाना तुम|
अगर औलाद भी तेरा वतन गद्दार हो जाए,
मिटा देना उसे ‘मिंटू’ नही रिश्ता निभाना तुम|
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय आरिफ़ साहेब ....हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी ....हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया |
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