For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1212 22/112

लफ़्जों से दर्द की दवा करके
देखा है यूँ भी तज़्रबा करके

तुम पे दहशत कोई मुसल्लत थी
करना क्या था तुम आए क्या करके

खींचता हूँ हयात को मैं फ़क़त
कट रही है खुदा खुदा करके

अपने माज़ी से है सवाल मेरा
क्या मिला उनसे राबिता करके

होश आ जाए नामुरादों को
देखिए मुहतरम दुआ करके

खिड़कियाँ खोल दी शबिस्ताँ की
दिल से सपनो को अब जुदा करके

दस्तबरदार तुमसे हो जाऊँ
सोचा था मैंने हौसला करके

तज़्रबा - अनुभव, मुसल्लत - हावी होना
हयात - ज़िन्दगी, फ़क़त - केवल
माज़ी - अतीत, राबिता - संबंध
शबिस्ताँ - शयन कक्ष, दस्त-बरदार - विरक्त
-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 819

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 3, 2017 at 4:45pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. महेंद्र कुमार जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 3, 2017 at 4:44pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. अनुराग वशिष्ठ जी नवाज़िश

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 3, 2017 at 4:43pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सतविंद्र कुमार जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 3, 2017 at 4:43pm
बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम समर कबीर साहिब,

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 3, 2017 at 4:41pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. रवि शुक्ल जी
Comment by Mahendra Kumar on April 2, 2017 at 10:13pm
बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय शिज्जु "शकूर" सर। सभी शेर एक से बढ़कर एक हैं। दिल से ढेरों बधाई प्रेषित है। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 2, 2017 at 2:09pm
शुक्रिया आ. नीलेश भाई कोशिश रहती है सक्रिय रहने की

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 2, 2017 at 2:00pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. बृजेश जी
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 1, 2017 at 5:50pm
आदरणीय शिज्जु शकूर जी शेर दर शेर दाद के साथ मुबारकबाद कबूल करें!
Comment by Samar kabeer on March 31, 2017 at 9:41pm
जनाब शिज्जु शकूर साहिब आदाब,आज का दिन बहुत अच्छा रहा,तीन बहतरीन ग़ज़लें पढ़ने को मिलीं ।
बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
16 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
23 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service