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नज़र से मेरी नज़र जो मिली तेरी

दिल की धड़कनें कुछ यूँ बढ़ी मेरी

ये दिल जो हो गया है अब तेरा

तू ही बता क्या कसूर इस में मेरा  

गा रहा ये दिल तराने अब तेरे 

बज रहा हो सितार जैसे दिल में मेरे

ख्यालों में डूबा हूं इस कदर अब तेरे

दिन गये चैन-ओ-सुकून वाले अब मेरे

बेवफ़ाई जो कर गयी नज़रें तेरी

किस्मत ही मुकर गयी जैसे मेरी

तुझे न पा सकूँ तो मेरी  क्या कमी है

बस आँखों में जिंदगी भर की नमी है 

मेरे दिल में दर्द की अब क्या कमी है 

बस आँखों में जिंदगी भर की नमी है

"मल्हार" अब  मैं  गाने  लगा  हूँ

अपने में ही कहीँ अब खोनें लगा हूँ 

                  

रोहित डोबरियाल"मल्हार"

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 22, 2017 at 1:46pm

Mohammad arif#  साहब  मार्गदर्शन के लिए शुक्रिया ...आगे से में यही प्रयास करूँगा।

Comment by Mohammed Arif on April 22, 2017 at 1:39pm
प्रिय रोहित "मल्हार"जी आदाब, रचनाकर्म का बेहतर प्रयास आपके द्वारा किया जा रहा है । एक सुझाव है कि आप रचना को किसी छंद में बाँधने का प्रयास करें तो बेहतर होगा । हार्दिक बधाई ।

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