For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नज़र में कोई सूरत है? नहीं तो (ग़ज़ल)

1222 1222 122

मुहब्बत की ज़रुरत है? नहीं तो
ये ग़म क्या रस्म-ए-उल्फ़त है? नहीं तो

तेरी इसपर हुक़ूमत है? नहीं तो
ये दिल तेरी रियासत है? नहीं तो

ये दुनिया ख़ूबसूरत है? नहीं तो
किसी में आदमीयत है? नहीं तो

कोई मंज़र नहीं जँचता है गोया
नज़र में कोई सूरत है? नहीं तो

किसी दिन चाँद उतरे मेरे छत पर
उसे क्या इतनी फुरसत है? नहीं तो

मुहब्बत से ही इतना कुछ मिला है
कुछ और पाने की चाहत है? नहीं तो

कि मर-मर के भी साँसें चल रही हैं
तुम्हें क्या जीने की लत है? नहीं तो

इक अरसे बाद लौट आया तो है दिल
मगर क्या इसको राहत है? नहीं तो

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 828

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 2, 2017 at 12:33pm

आदरणीय जयनित भाई , अच्छी गज़ल हुई है , बधाइयाँ स्वीकार करें । बाक़ी बातों के लिये मै भी आदरणीय समर भाई जी से सहमत हूँ , सलाह के बाद उपस्थिति  और तद अनुसार पटल पर सुधार दोनो हों तभी बात पूरी होती है ... । आज कल कई ग़ज़लों मे मैने देखा है ये लिखे कि अपनी प्रति मे मैने सुधार कर लिया है ...  ये अधूरी बात है ।

Comment by Samar kabeer on May 2, 2017 at 10:07am
"किसी दिन चाँद उतरे मेरे छत पर'
इस मिसरे में 'छत'शब्द स्त्रीलिंग है, इसलिये ये मिसरा यूँ कर लें:-
'किसी दिन चाँद उतरे मेरी छत पर'
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 2, 2017 at 8:46am
आदरणीय रवि शुक्ला जी, बहुत बहुत आशीर्वाद है आपका। अपरिहार्य कारणों से आयोजन में शामिल नहीं हो सकने का अफ़सोस है।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 2, 2017 at 8:44am
आदरणीय समर कबीर जी, सर्वप्रथम मैं अपनी ग़लती स्वीकार कर आपसे विनम्रतापूर्वक क्षमादान मांगता हूँ।
मैं स्वीकार करता हूँ कि पिछली कुछ रचनाओं पर मैं आलस्यवश उनपर प्राप्त हुई प्रतिक्रियाओं का प्रत्युत्तर नहीं दे पाया हूँ, लेकिन इसका अर्थ कृपया यह न समझें कि मुझे इस्लाह पसंद नहीं है। इस मंच से जुड़ने का मुख्य उद्देश्य आप जैसे अनुभवी गुणी जनों का आशीर्वाद पाना ही है। मैं आपसे वादा करता हूँ कि आगे से मेरे और इस मंच के बीच आलस्य बाधा नहीं बनेगा।
आपकी समीक्षात्मक टिप्पणी की प्रतीक्षा है। सादर!!
Comment by Samar kabeer on May 1, 2017 at 6:16pm
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,आप ग़ज़ल तो मंच से साझा करते हैं,अच्छी बात है लेकिन उस पर आई टिप्पणियों ख़ासकर जिन टिप्पणियों में आपकी ग़ज़ल की सही समीक्षा की जाती है,उसका जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझते,इससे ये साबित होता है कि आपको इस्लाह पसन्द नहीं है,इसलिये अब आपकी ग़ज़ल की तारीफ़ ही मुनासिब है ।
अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबफ पेश करता हूँ ।
Comment by Ravi Shukla on May 1, 2017 at 6:05pm

आदरणीय जयनित जी बहुत ही बढि़या गजल कही आपने मुशायरे में किसी कारण से न आ पाए हो पर गजल की कमी पूरी हो गई

कोई मंज़र नहीं जँचता है गोया
नज़र में कोई सूरत है? नहीं तो बहुत अच्‍छा शेर लगा हमें   दाद के साथ मुबारक बाद पेश है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
13 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
22 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
30 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
40 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
13 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service