For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शाब्दिक कलन -१२२ १२२ १२२ १२२
*******************
मुहब्बत हुई जो खता होते होते।
सरे-राह गुजरी खफा होते होते। १
------
हसूं या रोऊँ जिंदगी पर खुदाया,
जहर हो गई है दवा होते होते। २
------
बची उम्र अब तो न जीने की कोई,
हँसी थी मुसीबत फना होते होते। ३
-------
शमां बुझ गई सो गई सारी महफ़िल,
विराना हुआ दिल वफ़ा होते होते। ४
--------
मिला तख़्त बैठें खजाना छुपाकर,
मुक़द्दस हुए अब सजा होते होते। ५
---------
रिवाजे बना क़त्ल भी वो कराएं,
चलो रह गयें वो खुदा होते होते। ६
----------
खनक जाम की बोतलों का लुढ़कना,
हमें नींद आई नशा होते होते। ७
------------------
मौलिक एवं अप्रकाशित रचना,
सुनील प्रसाद शाहाबादी।

Views: 837

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on June 1, 2017 at 3:52pm
आदाब श्याम नारायण वर्मा जी हौसला अफजाई के लिए।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on June 1, 2017 at 3:51pm
शुक्रिया मोहतरम बृजेश कुमार जी।
Comment by Shyam Narain Verma on May 30, 2017 at 4:29pm
बहुत बढ़िया गजल बधाई आपको । 
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 28, 2017 at 5:57pm
खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय..आदरणीय राम अवध जी ने खूबसूरत सुझाव दिया है..
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on May 26, 2017 at 8:48pm
आदरणीय गुरप्रीत जी आपके स्नेह को हृदय से नमन।
Comment by Gurpreet Singh jammu on May 26, 2017 at 4:42pm

आदरणीय सुनील प्रसाद जी,, इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बधाई 

Comment by narendrasinh chauhan on May 26, 2017 at 10:14am

खूब सुन्दर रचना 

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on May 25, 2017 at 8:49pm
बहुत नेक इस्लाह आदरणीय राम अवध विश्वकर्मा जी आपका बेहद शुक्रिया ।
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on May 25, 2017 at 6:26pm
बेहतरीन गज़ल के लिये बधाई
मेरे हिसाब से अगर दूसरे शेर का पहला मिसरा यूँ कर लें तो शेर दुरूस्त हो जायेगा।
हँसूँ जिन्दगी पर या रोऊँ खुदाया। ऐसा करने से शेर बह्र में आआ जायेगा।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on May 25, 2017 at 6:24pm
हौसला अफजाई के लिए बेहद शुक्रिया मोहतरम आरिफ साहिब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
7 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service