For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाँव जबसे कस्बे - -- -

गाँव जबसे कस्बे - - - -

गाँव जबसे कस्बे

होने लगे |

बीज अर्थों के,रिश्तों में

बोने लगे |

गाँव जबसे कस्बे- - - -

पेपसी,ममोज़ चाऊमीन से

कद बढ़ गया |

सतुआ-घुघुरी-चना-गुड़ से

बौने लगे |

पातियों का संगठन

खतम हो गया

बफ़र का बोझ अकेले ही

ढोने लगे |

गाँव जबसे कस्बे- - - -

पत्तलों कुल्ल्हडो की

 खेतियाँ चुक गईं |

थर्माकोल-प्लास्टिक से

खेत बोने लगे |

मटकियों -गगरियों का

  ज़माना लदा |

फ्रिज़ में रंगीन बोतल

  संजोने लगे |

गाँव जबसे कस्बे- - - -

नीम के पेड़,द्वार के

बंट गए,कट गए

ए.सी.,कूलर के कमरों में

अलग बिछौने लगे |

ढोर-ढंगर बने बोझ

कोई रखता नहीं |

टॉमी-शेरू बिस्तरों पे

  साथ सोने लगे |

गाँव जबसे कस्बे- - - -

जाता-सिल-ओखरी पे,ना

चूड़ी खनकती मिली

पैक्टो में स्वाद-ग्रन्थि

सिसकती मिली |

जामुन-महुए चुए तो

उठे ही नहीं

बोतलों  के लेबलों से

खुश होने लगे  |

गाँव जबसे कस्बे- - - -

द्वार की लाठियाँ

मुड़ गईं ,गिर गईं

आंगन-दहलान का

अंतर खोने लगे 

चौपाले  सूनी हुई 

घर-घर घंटी बजी 

व्हाट्सअप्प-फेसबुक पे 

हंसने-रोने लगे |

गाँव जबसे कस्बे- - -

आत्मा ढूढ़ती है

गाँव छूटा हुआ

देह शहरों से

नेह लगाए पड़ा |

बस्तियाँ मध्यवर्ग की

 मजबूरियाँ |ख्व़ाब काँटे के जैसे

गले में फँसा |

ख्व़ाब कांटे के जैसे 

गले में फँसा |

सोमेश कुमार(मौलिक एवं अप्रकाशित)

सुधार एवं सुझाव अपेक्षित 

Views: 483

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 23, 2017 at 11:25pm
बहुत ही शानदार..गहरे निहितार्थों को प्रतिबिम्बित करती हुई रचना..बधाइयाँ
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 23, 2017 at 10:39pm

मिटते धुंधलाते  गाँव की याद दिलाती अचछी  कविता . सप्रेम .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 18, 2017 at 9:31pm

बहुत सुंदर सार्थक संदेश देती हुई कविता आज आधुनिकता के नाम पर हमने क्या क्या भेंट चढ़ा दिया सुंदर उदाहरण पेश करती हुई रचना बहुत बहुत बधाई आद० सोमेश जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
10 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
16 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service