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जिंदगी
...........

वक्त की रेत हाथों से, कुछ यूं फिसल गई.
जिंदगी समझे जब तक, जिंदगी निकल गई.
.
किया था वादा ता-उम्र, इमदाद का उसने
मुश्किलों मे किस्मत की भी, नीयत बदल गई.
.
बेमन उदास बैठी थी, तन्हाई में जब शाम
आमद जो उसकी हुई तो, तबियत बहल गई.
.
दुनिया की बंदिशों का, हमें इल्म है मगर
उसे पाने की फिर भी, ख्वाहिश मचल गई.
.
तूफां का जुनून 'सुरेश', काबिले तारीफ था
हौंसलों की जद्दोजहद से, कश्ती संभल गई.
.
(सुरेश बीनागंजवी)

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 23, 2017 at 10:22pm

आ० बहर जरूर लिखे . यह इस मंच की परम्परा है . सा दर.

Comment by suresh jadav 'Binaganjvi' on June 19, 2017 at 1:15pm
शुक्रिया जनाब मो़ आरिफ जी
Comment by Mohammed Arif on June 19, 2017 at 7:59am
आदरणीय सुरेश जादव जी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल । हर शे'र लाजवाब । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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