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जिन्दगी की रेलगाड़ी,

भागती सरपट चली.

 

मिल न पायीं दो पटरियाँ,

साथ पर चलती रहीं.

देख कर अपनों की खुशियाँ,

दीप बन जलती रहीं.

 

दे गयी राहत सफर में,

चाय की इक केतली.

 

मौसमों की मार झेली,

जंग अपनों से लड़ी.

जंगलों की खाक छानी,

पैर शहरों के पड़ी.

 

ख्वाब देखे नित नये,

रख ली सँजोकर पोटली.

 

अनगिनत ठहराव आये,

बोझ कम ज्यादा हुआ.

पर हमें रुकना नहीं है,

रोज ये वादा हुआ.

 

राह सच की थी कठिन,

लगती रही फिर भी भली.

 "मौलिक एवं अप्रकाशित "

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Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 7, 2017 at 8:22pm

आभार आदरणीय laxman dhaami जी आपका 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 26, 2017 at 9:54pm
बहुत सुंदर गीत हुआ है भाई बसंत जी हार्दिक बधाई ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 26, 2017 at 12:55pm

आदरणीय vijay nikore जी हौसला अफजाई के लिए आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by vijay nikore on July 25, 2017 at 4:00pm

//

अनगिनत ठहराव आये,

बोझ कम ज्यादा हुआ.

पर हमें रुकना नहीं है,

रोज ये वादा हुआ.//

बहुत ही सुन्दर भाव । हार्दिक बधाई, आदरणीय बसंत जी

Comment by Ravi Shukla on July 25, 2017 at 2:05pm

मंच पर गीत पोस्‍ट कर दिया है आदरणीय बसंत सर समयअनुसार प्रतिक्रिया दीजियेगा कि प्रयास कितना  सार्थक हुआ ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 25, 2017 at 1:36pm

अरे वाह स्वागत आपका आदरणीय रवि शुक्ला जी, बहुत अच्छा लगा , गीत का स्वागत है 

Comment by Ravi Shukla on July 25, 2017 at 11:02am

आदरणीय बसंत सर आपकी रचनाओं से अनुमान तो हमें हो रहा था किंतुआपने आपने कंफर्म भी कर दिया । हम बीकानेर मंडल की वाणिज्‍य शाखा में कार्यालय अधीक्षक के पद पर सेवाएं दे रहे है ( न्‍यायालय प्रकरण की डीलिंग है ) उत्तर पश्चिम रेलवे मुख्‍यालय में एक भारत श्रेष्‍ठ भारत विषय पर प्रतिभाग के लिये हमें नामित किया गया था किन्‍तु एक अवमानना प्रकरण में चंडीगढ़ जाना पड़ा इसलिये प्रतियोगिता में प्रति भाग नहीं हुआ । वो गीत आज आप सबके लिये मंच पर रखते है । सादर

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 24, 2017 at 6:09pm

आदरणीय Ravi Shukla जी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रिया, मैं रेलवे में भारतीय रेल यातायात सेवा (IRTS) में हूँ तथा वर्तमान में जबलपुर पश्चिम मध्य रेल मुख्यालय में उप मुख्य परिचालन प्रबंधक के पद पर कार्यरत हूँ. 

Comment by Ravi Shukla on July 24, 2017 at 12:54pm

आदरणीय बसंत कुमार जी सुन्‍दर गीत रचा आपने बधाई रेल गाड़ी के  माध्‍यम से एक दर्शन दिखाया है आपने । बधाई स्‍वीकार करें । आप रेलवे में काम करते है क्‍या कुछ दिन पहले एक भारत श्रेष्‍ठ भारत विषय पर आपका गीत पढा था रेलवे में उस पर प्रतियोगिता थी

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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