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उनको हरजाई बताऊँ तो बताऊँ कैसे !

उनको हरजाई बताऊँ तो बताऊँ कैसे !

खुद हंसी अपनी उडाऊं तो उडाऊं कैसे !!

मुझको ईकान है वो अब भी वफ़ा कर लेंगे !
बेवफा उनको बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!

शोला ए हिज्र से ये और भड़क जाती है !
आग इस दिल की बुझाऊं तो बुझाऊं कैसे !!

उनके दरयाऐ मुहब्बत में है मौजों का हुजूम !
कश्तिये इश्क चलाऊं तो चलाऊं कैसे !!

लोग चेहरे के ता अस्सुर से समझ जाते है !
हाले दिल अपना छुपाऊं तो छुपाऊं कैसे !!

गुफ्तगू करने का मौक़ा ही नहीं मिलता है !
उनसे मै बात बढाऊं तो बढाऊं कैसे !!

अब किसी और के हाथो में है हाथ उसके 'हिलाल' !
उसको मै अपना बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!

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Comment

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Comment by Hilal Badayuni on June 7, 2011 at 2:03pm

shukriya dheeraj ji satish ji 

ye mujhe nahi pata k kiski dukhti rag hai hum to wo sab likh dete hai jo aabhaas hota hai

Comment by Dheeraj on June 7, 2011 at 12:37pm

बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल है हिलाल भाई ..... कइयो के हाले दिल बयान कर दिए आपने तो और कइयो के दुख़्ते राग पे हाथ रख दिया ...... बहुत ही बढ़िया ....... बधाई स्वीकार करे...... कुछ पंक्तिया हमारी तरफ से भी

जान कर भी वो कभी मान ना सके हमारा हाल ए दिल !
नादान उनको बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!
होके गैर का अब जबकि वो ना रहा हमारा !
नादान दिल को ये समझाऊँ तो समझाऊँ कैसे !!

Comment by satish mapatpuri on June 7, 2011 at 3:01am
अब किसी और के हाथो में है हाथ उसके 'हिलाल' !
उसको मै अपना बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!

ये तो अपनी ही कहानी लगती है अहमद साहेब, बधाई. 

Comment by Hilal Badayuni on June 6, 2011 at 9:56pm

bahut bahut shukriya pandey ji veerendra ji guru ji

jo  aapne meripazeerai farmaiii

shukriya

Comment by Rash Bihari Ravi on June 6, 2011 at 5:14pm
अब किसी और के हाथो में है हाथ उसके 'हिलाल' !
उसको मै अपना बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!
bahut badhia khubsurat
Comment by Veerendra Jain on June 6, 2011 at 12:56pm
मुझको ईकान है वो अब भी वफ़ा कर लेंगे !
बेवफा उनको बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!
 
bahut hi khubsurat gazal ke liye bahut bahut badhai..Hilal bhai..

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 6, 2011 at 11:54am

अच्छी ग़ज़ल के लिये शुक्रिया.

//उनको हरजाई बताऊँ तो बताऊँ कैसे !

खुद हंसी अपनी उडाऊं तो उडाऊं कैसे !!// .. .. और मज़मा यहीं से जम गया. बहुत-बहुत बधाई.
Comment by Hilal Badayuni on June 6, 2011 at 10:51am
shukriya ganesh ji kya baat hai baaqi sab log kahan hai sampaadak ji rana ji ...aaj kal bahut masroof hai kya...........
actually mahotsav me 2 din the maine socha ek ghazal post ker k o b o members ko entertain ker liya jaaye
magar mehfil hai kahan
khair aapne wo sher pasand kiya jo mujhe b pasand hai
shukriya ...............

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 6, 2011 at 9:44am
लोग चेहरे के ता अस्सुर से समझ जाते है !
हाले दिल अपना छुपाऊं तो छुपाऊं कैसे !!
बहुत खूब हिलाल भाई, बहुत बढ़िया शे'र, खुबसूरत ग़ज़ल पर बधाई आपको |

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