For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिक सुख ...

कितने
दुखों से
भर दिया
बज़ुर्गों का दामन
वर्तमान के
क्षणिक सुख की
सोच ने

सैंकड़ों झुर्रियों में
छुपा दिया
बज़ुर्गों के सुख को
वर्तमान के
क्षणिक सुख की
सोच ने

मानवीय संवेदनाओं के
हर बंध अनुबंध
बिसरा डाले
वर्तमान के
क्षणिक सुख की
सोच ने

ममता की अनुभूति
जो भूले न
आज तक
उन्हें
कन्धों तक का
मोहताज़ बना दिया
वर्तमान के
क्षणिक सुख की
सोच ने

हयात भी
शर्माती है
अजल भी
शर्माती है
बात बात पे आंखें
माँ बाप की
भर आती हैं
न शक़्ल नज़र आती है
न रोशनी नज़र आती है
बिन खिड़की की
दीवारों में
ज़िंदगी गुजर जाती है
इक इक कल पे
अपने आज को
कुर्बान किया
अपने नाम का
आसमान दिया
ममता की गंगा से
जो हाथ
पल पल
नहलाते रहे
उन्हीं हाथों पे
दर्द भरा
अंत रख दिया
वर्तमान के
क्षणिक सुख की
सोच ने

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित



Views: 542

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 12, 2017 at 7:04pm

आदरणीय narendrasinh chauhan जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।

Comment by narendrasinh chauhan on August 11, 2017 at 3:41pm

खूब सुन्दर रचना 

Comment by Sushil Sarna on August 10, 2017 at 5:57pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब सृजन पर  आपके स्नेहाशीष का दिल से आभार।  लेखन सफल हुआ। 

Comment by Samar kabeer on August 9, 2017 at 7:01pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत अच्छेछे विषय पर क़लम उठाया आपने और एक कामयाब कविता लिख दी,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Sarna on August 9, 2017 at 5:10pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 8, 2017 at 8:27pm

बहुत सही कहा है आपने आज कल बुजुर्गों को भूलते ही जा रहें हैं क्षणिक सुख की सोच में | बहुत बढ़िया रचना हुई है आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
9 hours ago
Admin posted discussions
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
23 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service